सामाजिक अध्ययन शिक्षण के उद्देश्य छात्रों को उनके समाज, संस्कृति, राजनीति, इतिहास और अर्थव्यवस्था के बारे में गहरी समझ प्रदान करना है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों में सामाजिक और नागरिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता उत्पन्न करना, उनके व्यक्तित्व का समग्र विकास करना और उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाना है। सामाजिक अध्ययन के शिक्षण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- सामाजिक जागरूकता का विकास: सामाजिक अध्ययन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य विद्यार्थियों में समाज और इसके विभिन्न पहलुओं के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना है। यह उन्हें समाज की संरचना, विविधता, और संस्कृति के बारे में समझने में मदद करता है।
- नैतिक और नागरिक शिक्षा: सामाजिक अध्ययन विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों से अवगत कराता है। यह उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों, अधिकारों, कर्तव्यों और समाज में अपने योगदान की समझ प्रदान करता है।
- समाज के प्रति संवेदनशीलता और सहिष्णुता: सामाजिक अध्ययन के माध्यम से छात्रों में समाज के विभिन्न वर्गों, धर्मों, जातियों और संस्कृतियों के प्रति सहिष्णुता और संवेदनशीलता का विकास होता है। यह उन्हें सामाजिक भेदभाव और असमानताओं को समझने और उनका मुकाबला करने के लिए प्रेरित करता है।
- साक्षरता और आलोचनात्मक सोच: सामाजिक अध्ययन छात्रों को घटनाओं, निर्णयों और नीतियों पर विचार करने के लिए साक्षर बनाता है। यह उन्हें अपने समाज और विश्व के बारे में आलोचनात्मक सोच और विचार करने की क्षमता प्रदान करता है।
- समाज में सुधार की ओर प्रेरित करना: सामाजिक अध्ययन छात्रों को यह सिखाता है कि वे अपने समाज में सुधार और बदलाव के लिए किस प्रकार सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। यह उन्हें समाज में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए सोचने और कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
इस प्रकार, सामाजिक अध्ययन का शिक्षण छात्रों को न केवल समाज की गहरी समझ देता है, बल्कि उन्हें एक जागरूक, जिम्मेदार और संवेदनशील नागरिक बनाने में भी मदद करता है।
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