निष्क्रियतावाद एक मानसिकता या दृष्टिकोण है, जिसमें व्यक्ति या समाज किसी भी प्रकार के संघर्ष, बदलाव या क्रियात्मकता से बचने की कोशिश करता है। यह विचारधारा या दृष्टिकोण सक्रिय रूप से किसी उद्देश्य या परिवर्तन के लिए प्रयास करने के बजाय चुपचाप और निष्क्रिय रूप से परिस्थितियों को सहन करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। निष्क्रियतावाद का अर्थ है संघर्ष या विरोध से बचना और मौजूदा स्थिति को स्वीकार कर लेना, भले ही वह स्थिति सही या आदर्श न हो।
निष्क्रियतावाद का संबंध अधिकतर सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों से होता है। जब लोग या समाज अपनी कठिनाइयों, अन्याय, या असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाने के बजाय चुप रहते हैं और कोई कदम नहीं उठाते, तो इसे निष्क्रियतावाद कहा जा सकता है। यह दृष्टिकोण यह मानता है कि किसी भी संघर्ष या परिवर्तन में ऊर्जा और संसाधनों की बर्बादी होती है, और इसलिए, बेहतर है कि जो चल रहा है, उसी को स्वीकार किया जाए।
निष्क्रियतावाद का एक उदाहरण किसी समाज में हो रहे अत्याचारों या अन्यायों के खिलाफ किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया न देना है। ऐसे में, लोग अपने व्यक्तिगत लाभ और आराम को अधिक प्राथमिकता देते हैं और वे यह मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है, वह उनके लिए नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं करेगा। इस प्रकार, यह दृष्टिकोण सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत जीवन में विकास और सुधार के अवसरों को बाधित करता है।
निष्क्रियतावाद के कारणों में कई तत्व हो सकते हैं, जैसे डर, असमर्थता, या विश्वास की कमी। लोग अक्सर यह मानते हैं कि किसी भी प्रकार के संघर्ष में विफलता की संभावना अधिक होती है, और इसलिए वे किसी भी प्रकार की पहल करने से बचते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ लोग सामाजिक, आर्थिक, या राजनीतिक संघर्षों में अपने आपको अनिवारी रूप से शामिल नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी व्यक्तिगत स्थिति या जीवन में कोई विशेष लाभ नहीं होगा।
हालाँकि, निष्क्रियतावाद से नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं। अगर समाज या व्यक्ति संघर्षों का सामना करने से बचते हैं, तो यह अन्याय, असमानता और शोषण को बढ़ावा दे सकता है। समाज में वास्तविक बदलाव और सुधार तभी संभव हैं जब लोग सक्रिय रूप से उन समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाएं और बदलाव के लिए कदम उठाएं।
इस प्रकार, निष्क्रियतावाद एक ऐसी मानसिकता है जो समाज को प्रगति की दिशा में आगे बढ़ने से रोक सकती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि समाज और व्यक्तियों में जागरूकता और सक्रियता हो, ताकि वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपनी भूमिका निभा सकें।
Subscribe on YouTube - NotesWorld
For PDF copy of Solved Assignment
Any University Assignment Solution