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व्यवहारवाद का शिक्षा में क्या योगदान है?

व्यवहारवाद एक प्रमुख मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो कहता है कि मनुष्यों और जानवरों का व्यवहार मुख्य रूप से बाहरी पर्यावरणीय उत्तेजनाओं द्वारा नियंत्रित होता है। इसे सबसे अधिक प्रभावी रूप से जॉन वॉटसन और बी.एफ. स्किनर द्वारा प्रस्तुत किया गया था। शिक्षा के क्षेत्र में व्यवहारवाद का महत्वपूर्ण योगदान इस बात पर आधारित है कि सीखने की प्रक्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है और उसका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

क) शास्त्रीय अनुबंध (Classical Conditioning): इवान पावलोव का शास्त्रीय अनुबंध सिद्धांत यह कहता है कि किसी व्यक्ति का व्यवहार एक प्रतिक्रिया के रूप में विकसित होता है। इस सिद्धांत का शिक्षा में योगदान यह है कि छात्र किसी विशेष प्रतिक्रिया को बार-बार उत्पन्न करके सीख सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक छात्र को किसी सकारात्मक प्रोत्साहन के द्वारा प्रोत्साहित करना उसे सही उत्तर देने की ओर प्रेरित करता है।

ख) बंध्याकरण (Operant Conditioning): बी.एफ. स्किनर के बंध्याकरण सिद्धांत के अनुसार, एक व्यक्ति का व्यवहार उस पर मिलने वाले पुरस्कार या सजा के आधार पर नियंत्रित किया जा सकता है। शिक्षा में इसका योगदान यह है कि शिक्षक छात्रों के व्यवहार को सकारात्मक और नकारात्मक सुदृढीकरण के माध्यम से नियंत्रित कर सकते हैं।

ग) पुनर्बलन (Reinforcement): व्यवहारवाद के आधार पर पुनर्बलन का सिद्धांत शिक्षा में अत्यधिक उपयोगी है। यह सिद्धांत यह बताता है कि यदि किसी छात्र को किसी विशेष क्रिया के लिए इनाम दिया जाता है, तो वह उस क्रिया को बार-बार दोहराने की प्रवृत्ति रखता है। इसी तरह, यदि किसी क्रिया के लिए सजा मिलती है, तो वह क्रिया दोबारा नहीं की जाती। शिक्षा में यह सिद्धांत अनुशासन और सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करने में उपयोगी है।

घ) व्यवहार परिवर्तन (Behavior Modification): व्यवहारवाद के सिद्धांत का उपयोग छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए किया जाता है। अगर कोई छात्र अनुशासनहीनता का प्रदर्शन करता है, तो उसे सुधारने के लिए शिक्षक विभिन्न प्रकार के व्यवहारात्मक तरीकों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि सजा, निगरानी या पुनः इनाम प्रणाली।

ङ) कार्यक्रमबद्ध शिक्षण (Programmed Instruction): यह व्यवहारवाद पर आधारित एक शिक्षण तकनीक है, जिसमें छात्र को छोटे-छोटे चरणों में निर्देश दिए जाते हैं, जिनका जवाब तुरंत मिल जाता है। इस तरीके से, छात्र को बार-बार गलतियाँ करने के बजाय, वे सीखने की प्रक्रिया को तेज़ी से और प्रभावी ढंग से ग्रहण करते हैं।

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