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सामाजिक समानता से क्या तात्पर्य है।

सामाजिक समानता से तात्पर्य उस स्थिति से है जहाँ समाज के सभी व्यक्तियों को समान अधिकार, अवसर और सम्मान प्राप्त होते हैं, बिना किसी भेदभाव के। यह एक आदर्श स्थिति है जहाँ लिंग, जाति, धर्म, भाषा, आर्थिक स्थिति या किसी अन्य आधार पर लोगों के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। सामाजिक समानता का उद्देश्य एक न्यायसंगत समाज का निर्माण करना है, जहाँ सभी व्यक्ति स्वतंत्र रूप से अपनी क्षमताओं और रुचियों के अनुसार जीवन जी सकें।

सामाजिक समानता के मुख्य आयाम निम्नलिखित हैं:

  1. राजनीतिक समानता: सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए, जैसे कि मतदान का अधिकार, कानून के सामने समानता, और प्रशासन में भागीदारी का अवसर।
  2. आर्थिक समानता: सभी व्यक्तियों को अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समान आर्थिक अवसर मिलने चाहिए। यह आर्थिक संसाधनों और अवसरों के समान वितरण की वकालत करता है।
  3. लैंगिक समानता: महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार और अवसर दिए जाने चाहिए, ताकि वे समाज में अपनी भूमिका निभा सकें।
  4. शैक्षिक समानता: सभी को समान शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए, जिससे व्यक्ति अपनी क्षमताओं का विकास कर सकें और समाज में बराबरी से भागीदारी कर सकें।

सामाजिक समानता का महत्व इस बात में निहित है कि यह व्यक्तिगत और सामूहिक विकास को बढ़ावा देती है। इससे समाज में अन्याय, उत्पीड़न और शोषण की स्थितियों को कम किया जा सकता है। समानता के अभाव में समाज में विभाजन, असंतोष, और हिंसा की स्थिति पैदा हो सकती है।

हालांकि, पूरी सामाजिक समानता को प्राप्त करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि समाज में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारक भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देते हैं। इसके बावजूद, एक बेहतर और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में सामाजिक समानता एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बनी रहती है।

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