Type Here to Get Search Results !

Hollywood Movies

Solved Assignment PDF

Buy NIOS Solved Assignment 2025!

महात्मा गाॅधी का ट्रस्टीशिप सिद्धान्त क्या है?

महात्मा गांधी का ट्रस्टीशिप सिद्धान्त (Trusteeship Theory) एक सामाजिक और आर्थिक सिद्धांत है, जिसे उन्होंने 20वीं शताब्दी में विकसित किया। यह सिद्धान्त भारतीय समाज में आर्थिक और सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए एक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

सिद्धान्त का मूल

गांधी ने ट्रस्टीशिप सिद्धान्त को इस विचार के तहत विकसित किया कि संपत्ति और संसाधनों का उपयोग समाज के कल्याण के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की संपत्ति और शक्ति का सही उपयोग समाज की भलाई के लिए होना चाहिए, न कि केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए।

ट्रस्टीशिप का अर्थ

गांधी के अनुसार, प्रत्येक धनी व्यक्ति या व्यवसाय को अपनी संपत्ति का ट्रस्टी मानना चाहिए। इसका मतलब यह है कि वे अपनी संपत्ति का उपयोग समाज की भलाई के लिए करेंगे, और उनके पास जो भी संसाधन हैं, उनका उपयोग दूसरों की भलाई के लिए किया जाएगा।

सामाजिक और आर्थिक समानता

गांधी का ट्रस्टीशिप सिद्धान्त सामाजिक और आर्थिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने कहा कि आर्थिक समृद्धि का लाभ समाज के हर वर्ग को मिलना चाहिए। इस सिद्धान्त के माध्यम से गांधी ने समाज में विषमता और असमानता को समाप्त करने की कोशिश की।

सामाजिक जिम्मेदारी

गांधी के अनुसार, ट्रस्टीशिप केवल एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कहा कि धनी वर्ग को गरीबों की सहायता करनी चाहिए और उनके लिए अवसर प्रदान करने चाहिए।

निष्कर्ष

महात्मा गांधी का ट्रस्टीशिप सिद्धान्त एक नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है। यह सिद्धान्त आज भी प्रासंगिक है और आर्थिक विषमता को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण विचारधारा है।

Subscribe on YouTube - NotesWorld

For PDF copy of Solved Assignment

Any University Assignment Solution

WhatsApp - 9113311883 (Paid)

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Technology

close