होम रूल आन्दोलन (Home Rule Movement) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था, जिसने भारतीय जनता में स्व-शासन की भावना को बढ़ावा दिया। यह आन्दोलन 20वीं शताब्दी की शुरुआत में शुरू हुआ और इसके प्रमुख नेताओं में बाल गंगाधर तिलक और Annie Besant शामिल थे।
आन्दोलन का उद्देश्य
होम रूल आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य भारत में स्व-शासन की प्राप्ति करना था। इसके तहत भारतीयों ने यह मांग की कि उन्हें अपने देश के प्रशासन में अधिक अधिकार दिए जाएं। आन्दोलन का लक्ष्य अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक सशक्त विरोध उत्पन्न करना और भारतीयों को अपने मामलों में निर्णय लेने का अधिकार दिलाना था।
बाल गंगाधर तिलक की भूमिका
तिलक ने होम रूल आन्दोलन को एक व्यापक दृष्टिकोण दिया। उन्होंने इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना। उन्होंने भारतीय जनता को जागरूक किया और उन्हें अपने अधिकारों के लिए संगठित होने के लिए प्रेरित किया। तिलक ने "स्वराज" का नारा दिया, जिससे लोगों में आत्मविश्वास और प्रेरणा का संचार हुआ।
एनी बेसेंट का योगदान
एनी बेसेंट ने भी होम रूल आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने "होम रूल लीग" की स्थापना की और भारतीयों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए। उनकी गतिविधियों ने भारतीय महिलाओं को भी इस आन्दोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
आन्दोलन की विशेषताएँ
- जन जागरूकता: होम रूल आन्दोलन ने भारतीय जनता में जागरूकता पैदा की और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाया।
- सामाजिक एकता: इस आन्दोलन ने विभिन्न समुदायों को एकत्रित किया और सामाजिक एकता की भावना को मजबूत किया।
- राजनीतिक संगठन: होम रूल आन्दोलन ने राजनीतिक संगठनों को जन्म दिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भी एक नया आयाम जोड़ा।
निष्कर्ष
होम रूल आन्दोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इस आन्दोलन ने भारतीय जनता को संगठित किया, उन्हें स्व-शासन की भावना से प्रेरित किया, और भारतीय राष्ट्रीयता की चेतना को जागृत किया। यह आन्दोलन आगे चलकर स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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