पे बैक पीरियड (Payback Period) किसी निवेश (investment) या परियोजना में लगाए गए प्रारंभिक लागत को वसूल करने में लगने वाले समय की माप है। इसे आम तौर पर महीनों या वर्षों में व्यक्त किया जाता है और यह दर्शाता है कि निवेश कितनी जल्दी अपनी लागत को कवर करेगा।
पे बैक पीरियड की गणना:
पे बैक पीरियड को निम्नलिखित सूत्र से सरल रूप में मापा जा सकता है:
यह सूत्र तब लागू होता है जब नकदी प्रवाह (cash inflows) प्रत्येक वर्ष समान हो। अगर नकदी प्रवाह असमान होता है, तो इसे जोड़ते हुए तब तक देखा जाता है, जब तक कि कुल नकदी प्रवाह प्रारंभिक निवेश के बराबर न हो जाए।
उदाहरण:
अगर किसी परियोजना में ₹10,00,000 का निवेश किया गया है और उससे प्रतिवर्ष ₹2,00,000 की नकदी प्रवाह हो रही है, तो पे बैक पीरियड होगा:
पे बैक पीरियड के लाभ:
- साधारण और समझने में आसान: यह मापदंड बहुत सरल होता है और इसे आसानी से समझा जा सकता है। निवेशकों और प्रबंधन के लिए यह एक प्रारंभिक संकेत देता है कि एक परियोजना कितनी जल्दी लाभ देना शुरू करेगी।
- जोखिम को कम करना: यह मापदंड यह बताने में मदद करता है कि निवेश कितनी जल्दी वसूल हो जाएगा, जिससे जोखिम को कम किया जा सकता है। छोटी पे बैक पीरियड वाली परियोजनाएँ जोखिमपूर्ण आर्थिक वातावरण में अधिक आकर्षक हो सकती हैं।
पे बैक पीरियड की सीमाएँ:
- लाभप्रदता की अनदेखी: यह केवल यह बताता है कि निवेश कब वसूल होगा, लेकिन इससे परियोजना की दीर्घकालिक लाभप्रदता का आकलन नहीं किया जा सकता है।
- समय मूल्य की अनदेखी: पे बैक पीरियड में पैसे के समय मूल्य (Time Value of Money) को नहीं माना जाता है। यह मानता है कि भविष्य के नकदी प्रवाह का वर्तमान मूल्य वही होगा, जो आज है, जबकि ऐसा वास्तविक जीवन में नहीं होता।
निष्कर्ष:
पे बैक पीरियड एक उपयोगी प्रारंभिक विश्लेषण उपकरण है, जो किसी परियोजना की जोखिम और नकदी वसूली अवधि का आकलन करता है। लेकिन इसे अन्य वित्तीय विश्लेषण तकनीकों, जैसे नेट प्रेजेंट वैल्यू (NPV) और आंतरिक दर (IRR), के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि एक समग्र और सटीक निर्णय लिया जा सके।
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