पूँजी ढाँचा (Capital Structure) से तात्पर्य किसी कंपनी या व्यवसाय द्वारा अपने संचालन और विस्तार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वित्तीय साधनों (financial instruments) के मिश्रण से है। यह मुख्य रूप से इक्विटी पूँजी (equity capital) और ऋण पूँजी (debt capital) का संतुलन है। पूँजी ढाँचा यह निर्धारित करता है कि एक कंपनी अपने दीर्घकालिक वित्तीय आवश्यकताओं को कैसे पूरा करती है और किस प्रकार के संसाधनों का उपयोग करती है।
पूँजी ढाँचे के घटक:
1. इक्विटी पूँजी (Equity Capital):
- इसमें शेयरधारकों द्वारा लगाई गई पूँजी शामिल होती है, जैसे सामान्य शेयर (common stock) और अधिमान्य शेयर (preferred stock)।
- इक्विटी पूँजी का लाभ यह है कि इसमें कंपनी को ऋण चुकाने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, इसके बदले शेयरधारकों को लाभांश (dividends) या मुनाफे में हिस्सा देना पड़ता है।
- इक्विटी पूँजी जोखिम मुक्त नहीं होती, क्योंकि इसमें कंपनी का नियंत्रण और मालिकाना हक शेयरधारकों के पास होता है।
2. ऋण पूँजी (Debt Capital):
- इसमें बांड, बैंक ऋण, और अन्य प्रकार के कर्ज शामिल होते हैं, जो एक निश्चित ब्याज दर पर उधार लिए जाते हैं।
- ऋण पूँजी का मुख्य लाभ यह है कि यह कर लाभ (tax benefits) प्रदान करता है, क्योंकि ब्याज का भुगतान कर कटौती योग्य होता है।
- हालांकि, इसका प्रमुख नुकसान यह है कि ब्याज और मूलधन चुकाने का दबाव कंपनी पर लगातार बना रहता है।
महत्व:
- संतुलित पूँजी ढाँचा कंपनी की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करता है। अगर पूँजी ढाँचे में अत्यधिक ऋण है, तो यह कंपनी के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है, क्योंकि उच्च ब्याज दरों का भुगतान करना कठिन हो सकता है। दूसरी ओर, यदि कंपनी के पास अधिक इक्विटी है, तो यह कम जोखिमपूर्ण हो सकती है, लेकिन इसका अर्थ यह है कि मुनाफा शेयरधारकों में विभाजित हो जाता है।
इस प्रकार, पूँजी ढाँचा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसका सही निर्धारण कंपनी की वित्तीय स्थिति और बाजार में दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित करता है।
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