डेविड इंस्टन द्वारा प्रतिपादित राजनीतिक व्यवस्था सिद्धान्त की विवेचना
डेविड इंस्टन (David Easton) एक प्रमुख राजनीतिक वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने राजनीतिक विज्ञान में राजनीतिक व्यवस्था सिद्धांत (Political System Theory) को प्रस्तुत किया। उनका सिद्धांत राजनीति के अध्ययन में एक नया दृष्टिकोण लेकर आया, जिसमें उन्होंने राजनीति को एक गतिशील और संपूर्ण प्रणाली के रूप में देखा। उनका राजनीतिक व्यवस्था सिद्धांत आज भी राजनीतिक प्रणाली के अध्ययन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
1. राजनीतिक व्यवस्था सिद्धांत का आधार
डेविड इंस्टन का राजनीतिक व्यवस्था सिद्धांत राजनीति को एक सिस्टम के रूप में देखता है, जिसमें विभिन्न तत्व और प्रक्रियाएँ आपस में जुड़ी होती हैं और एक दूसरे पर प्रभाव डालती हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, राजनीतिक व्यवस्था समाज के भीतर विभिन्न कार्यात्मक संस्थाओं, प्रक्रियाओं, और प्रतिक्रियाओं का संयोजन होती है। इसमें समाज, राजनीतिक संस्थाएँ, प्रक्रियाएँ, और समाज के अन्य तत्व शामिल होते हैं। इंस्टन के अनुसार, राजनीतिक व्यवस्था समाज के भीतर एक संतुलन बनाए रखती है और यह समाज के विकास और बदलावों के अनुरूप प्रतिक्रियाएँ देती है।
2. राजनीतिक व्यवस्था के घटक
इंस्टन ने राजनीतिक व्यवस्था को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण घटकों की पहचान की है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- पुश (Input): यह वह तत्व हैं, जो समाज के विभिन्न हिस्सों से राजनीतिक प्रणाली में आते हैं। इनमें लोकप्रिय मांगें (demands), समाजिक दबाव (support), और संस्थागत दबाव (institutional pressures) शामिल हैं। उदाहरण के लिए, चुनाव, जन आंदोलन, और सार्वजनिक राय ये सब पुश के रूप में कार्य करते हैं।
- प्रसंस्करण (Conversion): इसमें समाज की मांगों को राजनीति में संसाधित करने की प्रक्रिया शामिल होती है। यह प्रक्रिया राजनीतिक संस्थाओं जैसे संसद, राष्ट्रपति, और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जाती है, जो इन मांगों को निर्णयों और नीतियों में बदलते हैं। इसे राजनीतिक संस्थाओं का कार्य भी कहा जा सकता है।
- आउटपुट (Output): आउटपुट वह परिणाम होते हैं, जो संसाधित मांगों के आधार पर बनते हैं। इनमें नियम (laws), नीतियाँ (policies), और कार्यक्रम (programs) शामिल होते हैं, जो समाज पर लागू होते हैं। आउटपुट का उद्देश्य समाज की समस्याओं का समाधान करना और उनके हितों को पूरा करना होता है।
- आलम (Feedback): यह वह प्रतिक्रिया है जो आउटपुट के प्रभावों के रूप में उत्पन्न होती है। इसमें सामाजिक प्रतिक्रिया, जैसे संतोष या असंतोष, शामिल होती है, जो फिर से पुश के रूप में प्रणाली में लौटती है। यह प्रक्रिया राजनीतिक प्रणाली को सुधारने और बदलने में सहायक होती है।
3. राजनीतिक प्रणाली का कार्य
इंस्टन के सिद्धांत में, राजनीतिक प्रणाली का कार्य समाज में संतुलन बनाए रखना है। राजनीतिक प्रणाली input (समाज से आ रही मांगें और दबावों) को स्वीकार करती है, उन्हें संसाधित करती है, और output के रूप में निर्णय और नीतियाँ उत्पन्न करती है। इन निर्णयों और नीतियों का समाज पर प्रभाव होता है, जो फिर से प्रतिक्रिया (feedback) के रूप में प्रणाली में लौटती है। इस प्रतिक्रिया के आधार पर राजनीतिक व्यवस्था अपनी नीतियों और कार्यप्रणालियों को सुधारती और बदलती रहती है।
इंस्टन का यह सिद्धांत यह भी बताता है कि राजनीतिक व्यवस्था में समाज के विभिन्न समूहों और संस्थाओं के बीच सहयोग और संघर्ष हो सकता है। इसलिए, राजनीति केवल सत्ता के केंद्रों का संघर्ष नहीं होती, बल्कि यह एक जटिल प्रणाली है जिसमें विभिन्न घटक अपने-अपने स्वार्थ और हितों के लिए सक्रिय रहते हैं।
4. राजनीतिक प्रणाली के प्रकार
डेविड इंस्टन ने राजनीतिक प्रणाली को कई प्रकारों में वर्गीकृत किया, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार हैं:
- प्राकृतिक राजनीतिक प्रणाली: इसमें वे राजनीतिक प्रणालियाँ शामिल हैं जो प्राकृतिक रूप से एक समाज में अस्तित्व में होती हैं, जैसे आदिवासी या प्राचीन समाजों में देखने को मिलती थीं।
- मौजूदा राजनीतिक प्रणाली: ये वे राजनीतिक प्रणालियाँ हैं जो आधुनिक, औद्योगिक और लोकतांत्रिक समाजों में पाई जाती हैं। ये प्रणालियाँ संगठित होती हैं और इनमें कानून, संविधान, और प्रशासनिक तंत्र होते हैं।
- खुले और बंद राजनीतिक प्रणाली: खुली प्रणाली में लोकतांत्रिक तत्व और पारदर्शिता होती है, जबकि बंद प्रणाली में कम लोकतांत्रिक लक्षण होते हैं और यह अधिक केंद्रीकरण और सत्ता के नियंत्रण की ओर प्रवृत्त होती है।
5. इंस्टन का सिद्धांत और राजनीतिक प्रणाली के विकास पर प्रभाव
डेविड इंस्टन के सिद्धांत ने राजनीतिक अध्ययन को एक अधिक विविध और संपूर्ण दृष्टिकोण दिया। उनके सिद्धांत ने राजनीतिक संस्थाओं को केवल सत्ता के केंद्रीकरण और संघर्ष के रूप में देखने की बजाय, उन्हें समाज के भीतर एक संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक प्रणाली के रूप में प्रस्तुत किया। इस दृष्टिकोण ने राजनीतिक बदलाव, सामाजिक दबाव, और नागरिक प्रतिक्रिया जैसे पहलुओं को समझने में मदद की।
इसके अतिरिक्त, इंस्टन के सिद्धांत ने यह स्पष्ट किया कि राजनीतिक प्रणाली का स्वास्थ्य और उसकी स्थिरता समाज से आने वाली प्रतिक्रियाओं और मांगों पर निर्भर करते हैं। एक प्रणाली जितनी अधिक समाज की मांगों को ध्यान में रखती है और उनकी संतुष्टि करती है, उतना ही वह अधिक स्थिर और प्रभावी होती है।
6. निष्कर्ष
डेविड इंस्टन का राजनीतिक व्यवस्था सिद्धांत राजनीति और समाज के बीच जटिल और पारस्परिक संबंधों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इस सिद्धांत ने राजनीतिक अध्ययन में प्रणालीगत दृष्टिकोण को जन्म दिया और यह समझाया कि राजनीतिक व्यवस्था केवल एक अद्वितीय या केंद्रित शक्ति का मामला नहीं है, बल्कि यह एक समग्र प्रणाली है, जिसमें विभिन्न तत्व एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। इंस्टन के सिद्धांत ने राजनीतिक प्रणाली को एक जीवित और विकासशील प्रक्रिया के रूप में देखा, जो समाज के बदलते हुए संदर्भ और आवश्यकताओं के अनुरूप प्रतिक्रियाएँ देती है।
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