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संघर्ष को परिभाषित तथा इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिये ।

संघर्ष की परिभाषा और उसकी प्रकृति:

संघर्ष (Conflict) एक ऐसी स्थिति है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों, समूहों या पक्षों के बीच उद्देश्यों, विचारों, या इच्छाओं में भिन्नता या विरोध होता है। संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब विभिन्न पक्षों के बीच संसाधनों, मान्यताओं, विचारों या अधिकारों को लेकर असहमति और टकराव होता है। यह न केवल बाहरी स्थितियों में, बल्कि आंतरिक रूप से भी हो सकता है, जैसे किसी व्यक्ति के मन में स्वयं के विचारों और इच्छाओं के बीच टकराव।

संघर्ष की प्रकृति:

1. विरोधाभास और असहमति: संघर्ष की प्रकृति का मूल कारण विभिन्न पक्षों के बीच वैचारिक भिन्नता और असहमति होती है। यह असहमति किसी भी स्तर पर हो सकती है—व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक या राजनीतिक। जब दो पक्ष एक ही मुद्दे पर अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हैं, तो यह संघर्ष की स्थिति को जन्म देती है। उदाहरण के रूप में, एक परिवार में दो पीढ़ियों के बीच जीवनशैली और परंपराओं को लेकर भिन्नता हो सकती है, जो संघर्ष का कारण बन सकती है।

2. आंतरिक संघर्ष: संघर्ष केवल बाहरी नहीं होता, बल्कि यह आंतरिक भी हो सकता है। जब एक व्यक्ति के भीतर विभिन्न इच्छाएँ, निर्णय या मूल्य एक-दूसरे के विरोधी होते हैं, तो वह मानसिक और भावनात्मक संघर्ष का सामना करता है। इसे आंतरिक संघर्ष कहा जाता है, जो अक्सर मानसिक असंतुलन और तनाव का कारण बनता है। जैसे, एक व्यक्ति अपने करियर को लेकर किसी निर्णय पर असमंजस में हो सकता है, जिससे आंतरिक तनाव उत्पन्न होता है। 

3. शक्ति और नियंत्रण की प्रतिस्पर्धा: संघर्ष अक्सर शक्ति और नियंत्रण के लिए प्रतिस्पर्धा के रूप में भी होता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कोई पक्ष दूसरे पक्ष पर अपनी सत्ता और अधिकार स्थापित करने की कोशिश करता है। यह संघर्ष व्यक्तिगत रिश्तों से लेकर राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैल सकता है, जैसे राजनीतिक संघर्ष, धार्मिक संघर्ष या युद्ध।

4. सामाजिक और सांस्कृतिक संघर्ष: समाज में विभिन्न वर्गों, समुदायों या जातियों के बीच असमानताएँ और भेदभाव भी संघर्ष का कारण बन सकती हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक संघर्ष आमतौर पर उत्पन्न होते हैं जब एक समुदाय के अधिकारों और आदर्शों को दूसरे समुदाय द्वारा चुनौती दी जाती है। उदाहरण के रूप में, जातिवाद, धर्मनिरपेक्षता या सांस्कृतिक पहचान के मुद्दे पर संघर्ष हो सकता है।

5. संघर्ष के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू: संघर्ष न केवल नकारात्मक होता है, बल्कि इसके सकारात्मक पहलू भी होते हैं। यदि संघर्ष को सही दिशा में हल किया जाए, तो यह व्यक्तियों और समाज की मानसिकता में सुधार, नई सोच और रचनात्मक समाधान की दिशा में योगदान कर सकता है। दूसरी ओर, अगर संघर्ष का समाधान हिंसा और विवाद के रूप में होता है, तो यह समाज में अस्थिरता और विनाशकारी परिणाम उत्पन्न कर सकता है।

निष्कर्ष:
संघर्ष एक अपरिहार्य और स्वाभाविक मानवीय अनुभव है, जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकता है। इसके समाधान के लिए संवाद, समझ, और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होती है। अगर संघर्ष का समाधान शांति और समझ के साथ किया जाए, तो यह व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में सहायक हो सकता है।

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