दर्शन का अर्थ एवं प्रकृति
दर्शन का अर्थ:
'दर्शन' शब्द संस्कृत के 'दृश' (देखना) से निकला है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है 'देखना' या 'दृष्टि'। दर्शन एक विचारधारा या ज्ञान की वह शाखा है जो जीवन, ब्रह्मांड, अस्तित्व और ज्ञान के मूल स्वभाव को समझने की कोशिश करती है। यह सत्य, न्याय, भलाई और वास्तविकता के बारे में गहरे विचार और अनुशासन की प्रणाली है। दर्शन में व्यक्ति जीवन के मूलभूत सवालों का समाधान ढूंढता है, जैसे कि "हम कौन हैं?", "हम यहां क्यों हैं?", "सत्य क्या है?", "ज्ञान का स्रोत क्या है?"। दर्शन का उद्देश्य व्यक्ति को वास्तविकता के गहरे अर्थ और उद्देश्य से परिचित कराना है। यह मनुष्य के सोचने की प्रक्रिया को निर्देशित करता है और उसे तर्क, विश्लेषण, और गहनता से विचार करने की क्षमता प्रदान करता है।
प्रकृति का अर्थ:
प्रकृति का तात्पर्य उस समस्त सृष्टि से है, जो हमारे चारों ओर है, जिसमें जीवित और निर्जीव सभी तत्व शामिल हैं। इसमें पृथ्वी, आकाश, जल, वायु, वनस्पतियाँ, पशु-पक्षी, और अन्य प्राकृतिक घटक आते हैं। दर्शन में प्रकृति की परिभाषा और उसका अध्ययन प्रमुख है, क्योंकि यह समझने की कोशिश की जाती है कि प्रकृति कैसे कार्य करती है और इसका अस्तित्व किस कारण से है।
प्रकृति का दर्शन:
प्रकृति का दर्शन यह सवाल उठाता है कि प्रकृति का उद्देश्य क्या है और उसके अंदर क्या गहरे रहस्य हैं। यह प्राचीन दार्शनिकों द्वारा 'प्रकृति का अध्ययन' (physis) के रूप में देखा गया, जहां उन्हें जीवन और सृष्टि के तत्वों को समझने की कोशिश की जाती थी। यह दर्शन इस बात की खोज करता है कि मानव और अन्य जीवों के बीच का संबंध क्या है और हम प्रकृति के भीतर किस स्थान पर खड़े हैं।
इस प्रकार, दर्शन एक गहन बौद्धिक प्रक्रिया है, जिसमें हम अस्तित्व, जीवन, और ज्ञान के तत्वों की जड़ तक पहुंचने का प्रयास करते हैं। प्रकृति का अध्ययन यह समझने का प्रयास करता है कि हम और हमारे चारों ओर की दुनिया किस प्रकार अस्तित्व में आई है और इसके पीछे के कारण क्या हैं।
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