जान ड्यूवी का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
जान ड्यूवी (John Dewey) 20वीं सदी के प्रमुख अमेरिकी दार्शनिक और शिक्षक थे, जिनका शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा। वे प्रोग्रेसिव शिक्षा आंदोलन के समर्थक थे, जिन्होंने पारंपरिक शिक्षा पद्धतियों के खिलाफ विचार व्यक्त किए और शिक्षा को जीवन के अनुभवों से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। ड्यूवी ने शिक्षा को केवल ज्ञान देने के बजाय एक सक्रिय और अनुभव आधारित प्रक्रिया के रूप में देखा, जिससे विद्यार्थी अपने अनुभवों से सीख सकें।
- शिक्षा को अनुभव से जोड़ना: ड्यूवी ने यह तर्क दिया कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों को केवल पुस्तक ज्ञान देना नहीं है, बल्कि उन्हें जीवन के अनुभवों से जोड़ना है। उनके अनुसार, बच्चों को जो कुछ भी सिखाया जाए, वह उनके जीवन के वास्तविक अनुभवों पर आधारित होना चाहिए। यह दृष्टिकोण उनके प्रसिद्ध कथन "शिक्षा जीवन के लिए नहीं, बल्कि जीवन में है" से स्पष्ट होता है।
- प्रॉब्लम सॉल्विंग और आलोचनात्मक सोच: ड्यूवी ने विद्यार्थियों को आलोचनात्मक सोच और समस्या सुलझाने के कौशल को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा को एक सक्रिय प्रक्रिया माना, जिसमें छात्र ज्ञान को केवल ग्रहण नहीं करते, बल्कि उसे आत्मसात करके अपने जीवन में लागू भी करते हैं।
- जनता की शिक्षा में सुधार: ड्यूवी ने यह भी बताया कि शिक्षा को सामाजिक सुधार के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने सरकारी स्कूलों में सामाजिक समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रोत्साहन की बात की, ताकि विद्यार्थी समाज में अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकें।
ड्यूवी की शिक्षा प्रणाली ने पारंपरिक शिक्षक-केंद्रित शिक्षा पद्धति को चुनौती दी और छात्र-केंद्रित, अनुभव-आधारित शिक्षा के महत्व को स्थापित किया। उनका योगदान आज भी शिक्षा के क्षेत्र में प्रासंगिक है।
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