मुगल साम्राज्य का पतन 18वीं शताब्दी में हुआ, और इसके पीछे कई कारण थे। इनमें राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक कारक शामिल हैं:
1. राजनीतिक अस्थिरता
मुगल साम्राज्य के अंतर्गत बाद के सम्राटों की कमजोरियों ने शासन में अस्थिरता उत्पन्न की। औरंगजेब की धार्मिक नीतियों ने हिन्दू समुदाय में असंतोष पैदा किया, जिससे विभिन्न राज्यों में विद्रोह भड़क उठे। इसके बाद के सम्राटों में प्रशासनिक क्षमता की कमी और सत्ता संघर्षों के कारण केंद्रीय सत्ता कमजोर हो गई।
2. आंतरिक विद्रोह और संघर्ष
मराठों, सिखों, और अन्य स्थानीय शक्तियों के विद्रोहों ने मुगलों की शक्ति को चुनौती दी। उदाहरण के लिए, मराठों ने औरंगजेब के शासन के दौरान शक्ति हासिल की और बाद में साम्राज्य के अधिकांश भागों को अपने नियंत्रण में ले लिया। इस तरह के आंतरिक संघर्षों ने साम्राज्य की एकता को कमजोर कर दिया।
3. आर्थिक संकट
मुगल साम्राज्य का आर्थिक ढांचा कमजोर हो गया। निरंतर युद्धों और प्रशासनिक व्यय ने वित्तीय संसाधनों को कम किया। इसके अलावा, राजस्व वसूली में कमी और कृषकों पर बढ़ते करों ने आर्थिक स्थिति को और अधिक बिगाड़ दिया।
4. यूरोपीय शक्तियों का उदय
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और फ्रांसीसी शक्ति जैसे यूरोपीय शक्तियों के उदय ने मुगल साम्राज्य की स्थिति को और कमजोर किया। इन कंपनियों ने स्थानीय राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे भारतीय उपमहाद्वीप में अपने नियंत्रण को मजबूत किया।
5. संस्कृतिक और सामाजिक कारक
सामाजिक विषमता और विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच तनाव ने भी साम्राज्य की एकता को कमजोर किया। औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता ने हिंदू-मुस्लिम संबंधों में दरार पैदा की, जिससे साम्राज्य में सामाजिक अशांति फैली।
निष्कर्ष
मुगल साम्राज्य का पतन कई कारकों का परिणाम था, जिनमें राजनीतिक अस्थिरता, आंतरिक विद्रोह, आर्थिक संकट, यूरोपीय शक्तियों का उदय, और सामाजिक विषमताएँ शामिल थीं। ये सभी कारक मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाते हैं जिसमें मुगल साम्राज्य की शक्ति धीरे-धीरे समाप्त हो गई।
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