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प्रेरणा के विभिन्‍न प्रकारों और सिद्धांतों पर विस्तृत रूप से चर्चा कीजिए।

प्रेरणा (Motivation) के विभिन्‍न प्रकार और सिद्धांत

प्रेरणा (Motivation) वह प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति को किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ऊर्जा और दिशा प्रदान करती है। यह एक आंतरिक या बाहरी उत्तेजना होती है जो किसी व्यक्ति के व्यवहार को प्रोत्साहित करती है। प्रेरणा के बिना किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करना कठिन हो सकता है। मानव जीवन के सभी पहलुओं में प्रेरणा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, चाहे वह व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक जीवन।

प्रेरणा के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं - आंतरिक प्रेरणा (Intrinsic Motivation) और बाह्य प्रेरणा (Extrinsic Motivation)। इसके अतिरिक्त कई सिद्धांत भी हैं, जो मानव प्रेरणा को समझाने में मदद करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख सिद्धांत हैं: मास्लो का आवश्यकताओं का पदानुक्रम सिद्धांत (Maslow's Hierarchy of Needs), हर्जबर्ग का द्वि-घटक सिद्धांत (Herzberg's Two-Factor Theory), मैकक्लीलैंड की उपलब्धि प्रेरणा सिद्धांत (McClelland's Achievement Motivation Theory) और व्रूम का अपेक्षा सिद्धांत (Vroom's Expectancy Theory)

प्रेरणा के प्रकार

1. आंतरिक प्रेरणा (Intrinsic Motivation)

आंतरिक प्रेरणा वह प्रेरणा होती है जो व्यक्ति के भीतर से उत्पन्न होती है। इसमें व्यक्ति अपने आंतरिक हितों, जुनून, और संतोष के कारण कोई कार्य करता है। इसका उद्देश्य किसी बाहरी इनाम को प्राप्त करना नहीं, बल्कि कार्य को करने की खुशी और संतोष प्राप्त करना होता है।

उदाहरण के लिए:

  • कोई छात्र गणित की समस्या को हल करना चाहता है क्योंकि उसे समस्या सुलझाने में आनंद आता है, न कि सिर्फ अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए।
  • एक चित्रकार सिर्फ अपनी खुशी और रचनात्मकता के लिए चित्र बनाता है, भले ही उसे कोई आर्थिक लाभ न मिले।

2. बाह्य प्रेरणा (Extrinsic Motivation)

बाह्य प्रेरणा वह प्रेरणा होती है जो व्यक्ति को किसी बाहरी इनाम या पुरस्कार के लिए प्रेरित करती है। इसमें व्यक्ति कोई कार्य सिर्फ इसलिए करता है ताकि उसे कुछ लाभ प्राप्त हो, जैसे धन, मान्यता, या पुरस्कार।

उदाहरण के लिए:

  • एक कर्मचारी कड़ी मेहनत करता है ताकि उसे बोनस या प्रमोशन मिल सके।
  • एक बच्चा अपने माता-पिता की प्रशंसा पाने के लिए अच्छे अंक लाने की कोशिश करता है।

प्रेरणा के सिद्धांत

प्रेरणा को समझने और उसके प्रभाव को बेहतर ढंग से समझाने के लिए विभिन्न मनोवैज्ञानिक सिद्धांत विकसित किए गए हैं। ये सिद्धांत बताते हैं कि लोग क्यों और कैसे प्रेरित होते हैं। आइए इन सिद्धांतों पर विस्तार से चर्चा करते हैं:

1. अब्राहम मास्लो का आवश्यकताओं का पदानुक्रम सिद्धांत (Maslow’s Hierarchy of Needs)

मास्लो का आवश्यकताओं का सिद्धांत (1943) मानव प्रेरणा को पाँच स्तरों में विभाजित करता है। यह मानता है कि मनुष्य की आवश्यकताएँ एक पदानुक्रम में होती हैं, और जब एक आवश्यकता पूरी हो जाती है, तो अगली आवश्यकता सक्रिय हो जाती है।

मास्लो की पदानुक्रम में पाँच आवश्यकताएँ:

  1. शारीरिक आवश्यकताएँ (Physiological Needs): भोजन, पानी, हवा, और नींद जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ।
  2. सुरक्षा आवश्यकताएँ (Safety Needs): शारीरिक सुरक्षा, स्थिरता, और सुरक्षा का अनुभव।
  3. सामाजिक आवश्यकताएँ (Social Needs): प्रेम, संबंध, और सामुदायिक संबंध की आवश्यकता।
  4. सम्मान की आवश्यकताएँ (Esteem Needs): आत्म-सम्मान, मान्यता, और उपलब्धि।
  5. आत्म-साक्षात्कार (Self-Actualization): अपनी पूर्ण क्षमताओं को प्राप्त करने की इच्छा और व्यक्तिगत विकास।

मास्लो का सिद्धांत बताता है कि जब निचले स्तर की आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं, तो व्यक्ति उच्च स्तर की आवश्यकताओं की ओर बढ़ता है।

2. हर्जबर्ग का द्वि-घटक सिद्धांत (Herzberg’s Two-Factor Theory)

फ्रेडरिक हर्जबर्ग ने 1959 में एक सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने प्रेरणा के दो घटकों को पहचाना: मोटिवेटर्स (Motivators) और हाइजीन फैक्टर्स (Hygiene Factors)

  • मोटिवेटर्स: ये वे कारक हैं जो व्यक्ति को काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। इनमें उपलब्धि, मान्यता, काम की जिम्मेदारी, और व्यक्तिगत विकास शामिल हैं। ये कारक कार्य से संतोष और प्रेरणा को बढ़ाते हैं।
  • हाइजीन फैक्टर्स: ये वे कारक हैं जो कार्यस्थल पर असंतोष को रोकते हैं, लेकिन स्वयं प्रेरणा का कारण नहीं बनते। इनमें वेतन, नौकरी की सुरक्षा, कार्य स्थितियाँ, और कंपनी की नीतियाँ शामिल हैं। यदि ये कारक खराब होते हैं, तो असंतोष पैदा होता है।

हर्जबर्ग के अनुसार, मोटिवेटर्स सकारात्मक प्रेरणा उत्पन्न करते हैं, जबकि हाइजीन फैक्टर्स असंतोष को रोकते हैं लेकिन स्वयं प्रेरणा के स्रोत नहीं होते।

3. मैकक्लीलैंड की उपलब्धि प्रेरणा सिद्धांत (McClelland's Achievement Motivation Theory)

डेविड मैकक्लीलैंड ने इस सिद्धांत को 1961 में प्रस्तुत किया। इसके अनुसार, प्रेरणा तीन प्रमुख आवश्यकताओं से प्रभावित होती है:

  1. उपलब्धि की आवश्यकता (Need for Achievement): इसमें व्यक्ति कठिन कार्यों को पूरा करने और व्यक्तिगत उपलब्धियों को प्राप्त करने की इच्छा रखता है। ऐसे व्यक्ति चुनौतियों का सामना करना पसंद करते हैं और सफलता का आनंद लेते हैं।
  2. संबंध की आवश्यकता (Need for Affiliation): इस प्रकार के व्यक्ति दूसरों से जुड़ने, समाज में स्वीकार्यता पाने, और सामाजिक संबंधों को महत्व देते हैं।
  3. शक्ति की आवश्यकता (Need for Power): इसमें व्यक्ति दूसरों पर नियंत्रण पाने, निर्णय लेने, और प्रभावशाली भूमिका निभाने की इच्छा रखता है।

मैकक्लीलैंड के अनुसार, हर व्यक्ति में इन तीन आवश्यकताओं की अलग-अलग प्राथमिकताएँ होती हैं, और ये आवश्यकताएँ उसकी प्रेरणा को प्रभावित करती हैं।

4. व्रूम का अपेक्षा सिद्धांत (Vroom’s Expectancy Theory)

विक्टर व्रूम ने 1964 में अपने अपेक्षा सिद्धांत को प्रस्तुत किया। इसके अनुसार, व्यक्ति की प्रेरणा उसकी अपेक्षाओं पर आधारित होती है। यह सिद्धांत तीन प्रमुख तत्वों पर आधारित है:

  1. अपेक्षा (Expectancy): यह विश्वास कि किसी विशेष प्रयास से अपेक्षित परिणाम प्राप्त होंगे। उदाहरण के लिए, एक कर्मचारी को विश्वास होना चाहिए कि कड़ी मेहनत से उसे पदोन्नति मिलेगी।
  2. उपकरणता (Instrumentality): यह विश्वास कि कार्य के सफल होने पर कोई इनाम मिलेगा। उदाहरण के लिए, कर्मचारी को विश्वास होना चाहिए कि प्रमोशन के बाद वेतन में वृद्धि होगी।
  3. मूल्य (Valence): यह उस इनाम की वांछनीयता को दर्शाता है। अगर किसी व्यक्ति को इनाम महत्वपूर्ण लगता है, तो वह उस कार्य को करने के लिए प्रेरित होगा।

व्रूम का सिद्धांत बताता है कि यदि व्यक्ति को यह विश्वास है कि उसका प्रयास अच्छे परिणाम देगा और वह परिणाम मूल्यवान है, तो वह कार्य को करने के लिए प्रेरित होगा।

निष्कर्ष

प्रेरणा मानव जीवन के हर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चाहे आंतरिक प्रेरणा हो या बाहरी प्रेरणा, ये दोनों किसी व्यक्ति को उसके लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं। प्रेरणा के विभिन्न सिद्धांत यह समझने में मदद करते हैं कि कैसे और क्यों लोग प्रेरित होते हैं। मास्लो, हर्जबर्ग, मैकक्लीलैंड, और व्रूम जैसे मनोवैज्ञानिकों के सिद्धांत प्रेरणा के विभिन्न आयामों को स्पष्ट करते हैं।

व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में प्रेरणा के महत्व को समझना और इसे सही दिशा में इस्तेमाल करना सफलता की कुंजी है। जब व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं और उम्मीदों को समझता है, तो वह अपने कार्यों में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है और अधिक संतुष्ट महसूस कर सकता है।

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