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तंत्रिका कोशिका और तंत्रिका आवेग के प्रकार और अर्थ पर चर्चा कीजिए। तंत्रिका तंत्र की संरचना और कार्यों की व्याख्या कीजिए।

तंत्रिका कोशिका और तंत्रिका आवेग के प्रकार और अर्थ

तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन)

तंत्रिका कोशिकाएँ, जिन्हें न्यूरॉन (Neuron) कहा जाता है, तंत्रिका तंत्र की मूलभूत इकाइयाँ होती हैं। ये कोशिकाएँ विद्युत-रासायनिक संकेतों के द्वारा जानकारी का प्रसारण करती हैं। एक सामान्य तंत्रिका कोशिका में तीन मुख्य भाग होते हैं:

  1. कोशिका शरीर (Cell Body या Soma): इसमें न्यूक्लियस और अन्य कोशिकीय अंग होते हैं, जो कोशिका के सामान्य कार्यों को संचालित करते हैं।
  2. डेंड्राइट (Dendrites): ये छोटे शाखा जैसे संरचनाएँ होती हैं, जो तंत्रिका कोशिका के अन्य भागों या अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से संकेत प्राप्त करती हैं।
  3. ऐक्सन (Axon): यह लंबा तंतु होता है, जो संकेतों को कोशिका शरीर से दूर अन्य कोशिकाओं या अंगों तक ले जाता है।

तंत्रिका कोशिका के प्रकार

तंत्रिका कोशिकाओं को उनके कार्यों और संरचना के आधार पर विभाजित किया जा सकता है:

  1. संवेदनशील तंत्रिका कोशिका (Sensory Neurons): ये कोशिकाएँ बाहरी या आंतरिक वातावरण से जानकारी इकट्ठा करके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) तक भेजती हैं।
  2. मोटर तंत्रिका कोशिका (Motor Neurons): ये कोशिकाएँ केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संदेश अंगों, मांसपेशियों या ग्रंथियों तक पहुँचाती हैं।
  3. मध्यस्थ तंत्रिका कोशिका (Interneurons): ये कोशिकाएँ CNS के भीतर सूचनाओं का प्रसंस्करण और संचार करती हैं।

तंत्रिका आवेग (Nerve Impulse)

तंत्रिका आवेग, जिसे विद्युत संकेत भी कहा जाता है, तंत्रिका कोशिकाओं के माध्यम से जानकारी के प्रवाह का साधन है। यह आवेग विद्युत और रासायनिक परिवर्तनों से उत्पन्न होता है। जब किसी तंत्रिका कोशिका को एक बाहरी या आंतरिक उत्तेजना प्राप्त होती है, तो इसकी झिल्ली में एक विद्युतीय बदलाव आता है जिसे कार्रवाई संभावना (Action Potential) कहा जाता है।

तंत्रिका आवेग के प्रकार:
  1. उत्तेजनात्मक आवेग (Excitatory Impulse): ये आवेग तंत्रिका कोशिका को उत्तेजित करते हैं और कार्रवाई संभावना को बढ़ाते हैं, जिससे तंत्रिका कोशिका सक्रिय हो जाती है।
  2. निरोधात्मक आवेग (Inhibitory Impulse): ये आवेग तंत्रिका कोशिका की क्रियाशीलता को कम करते हैं, जिससे कार्रवाई संभावना घट जाती है और कोशिका निष्क्रिय रहती है।

तंत्रिका तंत्र की संरचना

तंत्रिका तंत्र को सामान्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है:

1. केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System - CNS): इसमें मस्तिष्क और मेरुदंड शामिल होते हैं।

  • मस्तिष्क (Brain): यह शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो संवेदी जानकारी का प्रसंस्करण करता है और विभिन्न अंगों और प्रणालियों को नियंत्रित करता है।
  • मेरुदंड (Spinal Cord): यह मस्तिष्क से जानकारी को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचाता है और संवेदनाओं को वापस मस्तिष्क तक ले जाता है।

2. पेरिफेरल तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System - PNS): इसमें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के बाहर की सभी तंत्रिकाएँ और तंत्रिका तंतु शामिल होते हैं।

  • स्वैच्छिक तंत्रिका तंत्र (Somatic Nervous System): यह प्रणाली स्वैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करती है, जैसे चलना या बोलना।
  • स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System): यह प्रणाली स्वचालित कार्यों को नियंत्रित करती है, जैसे हृदय की धड़कन और पाचन।

स्वायत्त तंत्रिका तंत्र को और दो भागों में विभाजित किया जाता है:

  • संपथैटिक तंत्रिका तंत्र (Sympathetic Nervous System): यह शरीर को तनाव या आपात स्थितियों में सक्रिय करता है, जिसे "लड़ाई या उड़ान" प्रतिक्रिया कहा जाता है।
  • पैरासंपथैटिक तंत्रिका तंत्र (Parasympathetic Nervous System): यह शरीर को आराम की स्थिति में रखता है और ऊर्जा के संरक्षण में मदद करता है, जिसे "आराम और पाचन" प्रतिक्रिया कहा जाता है।

तंत्रिका तंत्र के कार्य

1. संवेदी जानकारी का प्रसंस्करण:

तंत्रिका तंत्र शरीर से प्राप्त संवेदी सूचनाओं को संसाधित करता है, जैसे देखने, सुनने, छूने और स्वाद की जानकारी को मस्तिष्क तक पहुँचाना। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति आग को छूता है, तो संवेदनशील तंत्रिकाएँ त्वचा से संकेत मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं, जिससे तुरंत प्रतिक्रिया होती है और हाथ को पीछे खींच लिया जाता है।

2. मोटर प्रतिक्रिया:

तंत्रिका तंत्र शरीर के विभिन्न अंगों और मांसपेशियों को संदेश भेजता है, ताकि वे उचित प्रतिक्रिया दे सकें। यह प्रक्रिया सामान्यतः एक मोटर न्यूरॉन के माध्यम से होती है। उदाहरण के लिए, जब आप चलने का निर्णय लेते हैं, तो मस्तिष्क की ओर से संकेत आपके पैर की मांसपेशियों तक पहुँचते हैं।

3. स्वचालित प्रक्रियाएँ:

स्वायत्त तंत्रिका तंत्र द्वारा हृदय की धड़कन, पाचन और श्वसन जैसे अनैच्छिक कार्यों का नियमन किया जाता है। यह स्वायत्त तंत्रिका तंत्र की वजह से ही होता है कि हम इन क्रियाओं को बिना सोच-विचार के भी निरंतर कर सकते हैं।

4. स्मृति और शिक्षा:

मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का एक प्रमुख अंग है जो जानकारी को संचित करने, याद रखने और सीखने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यह हमें पुराने अनुभवों को याद रखने और उनसे सीखने में मदद करता है।

5. संतुलन और समन्वय:

तंत्रिका तंत्र संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मस्तिष्क का सेरीबेलम (Cerebellum) अंग शरीर के अंगों की गतिविधियों को समन्वित करता है, जिससे हम बिना सोचे-समझे संतुलन और समन्वय के साथ काम कर सकते हैं।

निष्कर्ष

तंत्रिका तंत्र मानव शरीर के कार्यों को नियंत्रित और समन्वित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल हमारे शरीर की संवेदी और मोटर प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करता है, बल्कि स्वचालित कार्यों, जैसे हृदय की धड़कन, पाचन और श्वसन जैसी प्रक्रियाओं को भी निर्देशित करता है। तंत्रिका कोशिकाएँ और तंत्रिका आवेग तंत्रिका तंत्र के माध्यम से जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे हमारा शरीर विभिन्न परिस्थितियों में तेज और सटीक रूप से प्रतिक्रिया कर पाता है।

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