शिक्षा मनोविज्ञान की विधियों की विवेचना
शिक्षा मनोविज्ञान एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो शिक्षा और अधिगम के बीच के संबंधों को समझने का प्रयास करता है। यह अध्ययन करता है कि कैसे विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करते हैं, किस प्रकार की शिक्षण तकनीकें प्रभावी होती हैं, और विभिन्न कारक, जैसे कि विद्यार्थी का मानसिक विकास, उसके अधिगम पर कैसे प्रभाव डालता है। शिक्षा मनोविज्ञान की विभिन्न विधियाँ होती हैं जिनके माध्यम से अध्ययन किया जाता है। इनमें निम्नलिखित मुख्य विधियाँ शामिल हैं:
1. प्रेक्षण विधि (Observation Method):
प्रेक्षण विधि शिक्षा मनोविज्ञान की एक महत्वपूर्ण विधि है जिसमें शिक्षकों और मनोवैज्ञानिकों द्वारा छात्रों के व्यवहार का प्राकृतिक परिस्थितियों में निरीक्षण किया जाता है। इस विधि में विद्यार्थी को उसके स्वाभाविक परिवेश में देखा जाता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह किस प्रकार से प्रतिक्रिया करता है, उसके सीखने की गति क्या है, और किन परिस्थितियों में उसका प्रदर्शन बेहतर होता है। यह विधि वास्तविक अनुभव प्रदान करती है और छात्रों के व्यवहार, भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को समझने में सहायक होती है।
2. प्रयोगात्मक विधि (Experimental Method):
इस विधि में नियंत्रण और परीक्षण के माध्यम से अधिगम को जांचा जाता है। इसमें एक विशेष परिस्थितियों को निर्मित किया जाता है जहां शिक्षक या शोधकर्ता एक स्थिति पर नियंत्रण रखता है और अन्य कारकों को मापता है। इससे यह पता चलता है कि किसी विशेष हस्तक्षेप या स्थिति का छात्र के व्यवहार या अधिगम पर क्या प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी छात्र को अलग-अलग तरीकों से पढ़ाया जाता है, तो इस विधि के माध्यम से यह जांचा जा सकता है कि कौन सा तरीका सबसे अधिक प्रभावी है।
3. सर्वेक्षण विधि (Survey Method):
सर्वेक्षण विधि में छात्रों, शिक्षकों या माता-पिता से प्रश्नावली या साक्षात्कार के माध्यम से जानकारी एकत्र की जाती है। यह विधि एक बड़े समूह के व्यवहार या मानसिक स्थिति को समझने में सहायक होती है। इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के दृष्टिकोण, शिक्षक की भूमिका, अधिगम की समस्याओं और समाधान के बारे में जानने के लिए किया जाता है।
4. मनोमितीय विधि (Psychometric Method):
यह विधि विभिन्न मानसिक गुणों, जैसे कि बुद्धिमत्ता, रुचि, योग्यता, और स्मृति की माप करने में सहायक होती है। इस विधि के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के परीक्षणों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि आईक्यू टेस्ट, एप्टीट्यूड टेस्ट आदि। इन परीक्षणों के परिणाम विद्यार्थियों की मानसिक योग्यता और उनकी सीखने की क्षमता का विश्लेषण करने में सहायक होते हैं। शिक्षक इस विधि का उपयोग कर छात्रों की व्यक्तिगत क्षमता और कमजोरी को पहचान सकते हैं।
5. मामला अध्ययन विधि (Case Study Method):
इस विधि में किसी एक छात्र या छोटे समूह का गहन अध्ययन किया जाता है। इसमें विद्यार्थी की शैक्षिक पृष्ठभूमि, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, व्यक्तिगत समस्याओं और अन्य कारकों का अध्ययन करके उसके अधिगम पर उनके प्रभाव को समझने की कोशिश की जाती है। यह विधि उन छात्रों की समस्याओं को समझने में सहायक होती है जो विशिष्ट चुनौतियों का सामना कर रहे होते हैं।
6. संदर्भात्मक विधि (Correlational Method):
इस विधि के माध्यम से शिक्षा और अन्य मनोवैज्ञानिक चर के बीच संबंधों को समझा जाता है। उदाहरण के लिए, शिक्षक यह जानने के लिए इस विधि का उपयोग कर सकते हैं कि किसी छात्र के आत्म-सम्मान और उसकी शैक्षिक सफलता के बीच क्या संबंध है।
शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान की आवश्यकता
एक शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह न केवल शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने में सहायक होता है, बल्कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में भी योगदान करता है। शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान से शिक्षक को निम्नलिखित लाभ होते हैं:
1. व्यक्तिगत भिन्नताओं को समझने में सहायक:
शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन करने से शिक्षक विभिन्न छात्रों के बीच भिन्नताओं को समझ सकते हैं। हर छात्र का मानसिक विकास और सीखने की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। कोई छात्र किसी विषय को जल्दी सीखता है तो किसी को समय लगता है। शिक्षा मनोविज्ञान इन भिन्नताओं को समझने में मदद करता है, जिससे शिक्षक प्रत्येक छात्र के लिए उचित शिक्षण विधि का चयन कर सकते हैं।
2. प्रेरणा और सृजनात्मकता को प्रोत्साहन:
शिक्षा मनोविज्ञान यह समझने में मदद करता है कि विद्यार्थियों को कैसे प्रेरित किया जाए। यह जानना कि किस छात्र को किस प्रकार की प्रेरणा की आवश्यकता है, शिक्षा मनोविज्ञान की एक प्रमुख भूमिका है। इससे शिक्षक छात्रों में आत्म-विश्वास और रुचि विकसित कर सकते हैं। इसके अलावा, शिक्षा मनोविज्ञान यह समझने में भी सहायक है कि छात्रों की सृजनात्मकता को कैसे प्रोत्साहित किया जाए।
3. व्यवहार प्रबंधन में सहायक:
शिक्षक अक्सर कक्षा में विभिन्न प्रकार के व्यवहार का सामना करते हैं। शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक को छात्रों के व्यवहार को समझने और उनका प्रबंधन करने में मदद करता है। इससे शिक्षक अनुशासन बनाए रखने के साथ-साथ छात्रों के व्यवहार में सुधार लाने के तरीके भी विकसित कर सकते हैं।
4. सहज शिक्षण विधियों का विकास:
शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक को यह सिखाता है कि किस प्रकार की शिक्षण विधि किस छात्र के लिए उपयुक्त होगी। कुछ छात्र दृष्टिगत रूप से सीखते हैं, तो कुछ श्रवण के माध्यम से बेहतर सीखते हैं। यह समझने से शिक्षक कक्षा में विभिन्न शिक्षण विधियों का उपयोग करके छात्रों के सीखने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
5. समस्या समाधान और निर्णय लेने की क्षमता:
शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक को समस्या-समाधान के कौशल सिखाता है। शिक्षण के दौरान शिक्षक विभिन्न समस्याओं का सामना करते हैं, जैसे छात्रों की अधिगम समस्याएँ, अनुशासनहीनता, सामाजिक मुद्दे आदि। शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान शिक्षक को इन समस्याओं का प्रभावी ढंग से हल करने और सही निर्णय लेने में मदद करता है।
6. छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास में सहायक:
शिक्षा मनोविज्ञान यह भी बताता है कि कैसे शिक्षक छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास में सहायता कर सकते हैं। विभिन्न आयु समूहों के बच्चों की मानसिक अवस्था और उनकी भावनाओं को समझने के लिए शिक्षक को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित होना चाहिए। इससे शिक्षक बच्चों के साथ बेहतर तरीके से संवाद कर सकते हैं और उनके मानसिक विकास में योगदान दे सकते हैं।
7. मूल्यांकन और प्रतिक्रिया के सुधार में सहायक:
शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान यह समझने में भी सहायक होता है कि छात्रों का सही तरीके से मूल्यांकन कैसे किया जाए। इसके माध्यम से शिक्षक यह जान सकते हैं कि किसी छात्र को उसकी गलतियों के प्रति कैसे संवेदनशील प्रतिक्रिया दी जाए और उसे सही मार्गदर्शन प्रदान किया जाए, ताकि वह अपने अधिगम में सुधार कर सके।
निष्कर्ष:
शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक को एक कुशल शिक्षण प्रक्रिया विकसित करने में अत्यंत सहायक है। यह शिक्षण प्रक्रिया को सरल, प्रभावी और आकर्षक बनाता है। शिक्षक छात्रों की मानसिक स्थिति, व्यवहार और उनकी विशेषताओं को समझकर उन्हें बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकता है। इस प्रकार, शिक्षा मनोविज्ञान न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी एक आवश्यक उपकरण है।
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