भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गोखले की भूमिका
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख राजनीतिक दल था, जिसका गठन 1885 में हुआ। इस दल ने भारतीय जनता के राजनीतिक अधिकारों के लिए एक मंच प्रदान किया और इसे कई प्रमुख नेताओं का समर्थन प्राप्त था, जिनमें से एक महत्वपूर्ण नाम बाल गंगाधर तिलक के समकालीन, गोपाल कृष्ण गोखले का है। गोखले का जीवन, विचार, और कार्य भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और उनकी भूमिका भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक सशक्त दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है।
गोपाल कृष्ण गोखले का परिचय
गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ। वे एक महान शिक्षाविद्, सामाजिक सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। गोखले ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भारतीय राजनीति में कदम रखा और उन्होंने भारतीय समाज की समस्याओं को हल करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गोखले के विचार और दृष्टिकोण
गोखले का राजनीतिक दृष्टिकोण मुख्यतः सद्भावना, समर्पण, और सामाजिक सुधार पर आधारित था। उन्होंने एक ऐसे समाज की स्थापना की परिकल्पना की, जिसमें हर नागरिक को अपने अधिकारों का ज्ञान हो और वे अपने लिए लड़ सकें।
- संविधानिक सुधार: गोखले का मानना था कि भारतीय जनता को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए, लेकिन यह संघर्ष संविधानिक और अहिंसक होना चाहिए। उन्होंने भारतीयों के लिए अधिक राजनीतिक अधिकारों की मांग की और इसके लिए उन्होंने कई याचिकाएँ प्रस्तुत कीं।
- सामाजिक सुधार: गोखले ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और सामाजिक असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने शिक्षा के प्रचार पर विशेष जोर दिया और इसे समाज के उत्थान का एक महत्वपूर्ण साधन माना।
- अहिंसक आंदोलन: गोखले ने अहिंसा और संवैधानिक तरीकों से संघर्ष करने पर विश्वास किया। उन्होंने भारतीयों को अपनी बात रखने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से लड़ने की सलाह दी।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गोखले की भूमिका
- संसदीय राजनीतिक कार्य: गोखले ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक महत्वपूर्ण नेतृत्व स्थापित किया। वे कांग्रेस के प्रमुख विचारकों में से एक थे और उनके विचारों ने कांग्रेस के दिशा-निर्देशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- स्वतंत्रता की मांग: गोखले ने कांग्रेस के मंच से स्वतंत्रता की मांग को उठाया। उन्होंने भारतीयों को उनकी राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक किया और उन्हें अपनी स्थिति सुधारने के लिए प्रेरित किया।
- सामाजिक सुधारों का समर्थन: गोखले ने कांग्रेस के भीतर सामाजिक सुधारों को प्राथमिकता दी। उन्होंने शिक्षा, महिला अधिकारों, और समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ कई आंदोलन शुरू किए।
- आध्यात्मिक विचारधारा: गोखले की विचारधारा में आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण स्थान था। उन्होंने भारतीय संस्कृति और सभ्यता की गरिमा को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- महात्मा गांधी का प्रभाव: गोखले का योगदान महात्मा गांधी पर भी महत्वपूर्ण था। गांधी ने गोखले के विचारों से प्रेरित होकर अपने स्वतंत्रता संग्राम के तरीके को विकसित किया। गोखले के अहिंसक दृष्टिकोण ने गांधी को अपने आंदोलन की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया।
गोखले की कांग्रेस में शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता
गोखले का शिक्षा के प्रति विशेष लगाव था। उन्होंने शिक्षा को समाज के विकास का मूल आधार माना। उन्होंने निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया:
- शिक्षा के प्रसार का अभियान: गोखले ने प्राथमिक शिक्षा के प्रसार के लिए कई कार्यक्रमों की शुरुआत की। उन्होंने सरकार से शिक्षा के बजट में वृद्धि की मांग की और भारत में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए प्रयास किए।
- महिला शिक्षा: गोखले ने महिलाओं की शिक्षा के प्रति भी ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को शिक्षित करना समाज के लिए आवश्यक है। उनके विचारों ने भारतीय महिलाओं की स्थिति में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- महात्मा गांधी और शिक्षा: गोखले के विचारों ने गांधी के शिक्षा के दृष्टिकोण को प्रभावित किया। गांधी ने भी शिक्षा के महत्व को समझा और इसे स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना।
गोखले का अस्थायी निधन
गोखले का जीवन काफी संघर्षमय रहा, लेकिन वे केवल 48 वर्ष की आयु में 1915 में निधन हो गए। उनके निधन के बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में उनके विचारों का प्रभाव जारी रहा। उनके द्वारा स्थापित मूल्यों और दृष्टिकोणों ने आगे चलकर कांग्रेस के कई आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निष्कर्ष
गोपाल कृष्ण गोखले का योगदान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय था। उनकी राजनीतिक दृष्टिकोण, सामाजिक सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता, और शिक्षा के प्रचार में उनकी भूमिका ने उन्हें एक महान नेता बना दिया। गोखले ने न केवल कांग्रेस के भीतर बल्कि पूरे भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कार्य किया। उनकी शिक्षाएँ और विचार आज भी भारतीय राजनीति में प्रासंगिक हैं, और वे हमेशा एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
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