शिक्षा में आदर्शवाद, प्रकृतिवाद, यथार्थवाद और प्रयोजनवाद के मुख्य योगदान
शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना होता है, और विभिन्न शैक्षिक विचारधाराएँ इसे प्राप्त करने के विभिन्न तरीकों का सुझाव देती हैं। शिक्षा में आदर्शवाद, प्रकृतिवाद, यथार्थवाद और प्रयोजनवाद ये चार प्रमुख दर्शन हैं, जो शिक्षा को विभिन्न दृष्टिकोणों से परिभाषित करते हैं। इन चारों का शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आइए इन विचारधाराओं के प्रमुख सिद्धांतों और शिक्षा में उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा करें।
1. आदर्शवाद (Idealism)
शिक्षा में आदर्शवाद का योगदान:
- आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा पर जोर: आदर्शवाद शिक्षा के माध्यम से आत्मा, नैतिकता, और मूल्यों के विकास को प्रमुख मानता है। इसका मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल भौतिक ज्ञान प्राप्त करना नहीं है, बल्कि व्यक्ति के आध्यात्मिक और नैतिक विकास को भी सुनिश्चित करना है।
- शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका: आदर्शवादी शिक्षा प्रणाली में शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षक को एक आदर्श व्यक्ति माना जाता है, जो छात्रों को नैतिकता, चरित्र, और उच्च आदर्शों की ओर प्रेरित करता है। शिक्षक का कार्य केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि छात्रों में एक आदर्श जीवन की दिशा में जागरूकता लाना है।
- शिक्षा का नैतिक और सांस्कृतिक पहलू: आदर्शवाद यह मानता है कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को उच्च सांस्कृतिक और नैतिक मानदंडों के अनुसार तैयार करना है। यह न केवल व्यक्तिगत विकास बल्कि समाज के नैतिक सुधार की दिशा में भी कार्य करता है।
- पाठ्यक्रम में मानविकी का महत्व: आदर्शवादी शिक्षा दर्शन साहित्य, दर्शनशास्त्र, कला, धर्म और इतिहास जैसे विषयों को विशेष महत्व देता है, क्योंकि ये विषय छात्रों को आदर्श और उच्च विचारों की ओर अग्रसर करते हैं।
2. प्रकृतिवाद (Naturalism)
शिक्षा में प्रकृतिवाद का योगदान:
- प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा: प्रकृतिवादी दृष्टिकोण के अनुसार, शिक्षा का सबसे अच्छा स्थान प्रकृति है। प्रकृति के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त करना बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। रूसो ने अपनी पुस्तक 'एमिल' में इस दृष्टिकोण का समर्थन किया।
- अनुभवजन्य शिक्षा: प्रकृतिवादी शिक्षा प्रणाली में अनुभवजन्य शिक्षा (learning by doing) पर जोर दिया जाता है। बच्चों को अनुभव के माध्यम से चीज़ें सीखने का मौका दिया जाता है, जो उनके संज्ञानात्मक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक होता है।
- स्वाभाविक विकास: प्रकृतिवादी शिक्षा का मानना है कि बच्चों का विकास स्वाभाविक रूप से होता है, और इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा डालने की आवश्यकता नहीं होती। यह शिक्षकों और अभिभावकों से आग्रह करता है कि वे बच्चों के विकास में न्यूनतम हस्तक्षेप करें।
- शारीरिक शिक्षा पर बल: प्रकृतिवाद के अनुसार, शारीरिक विकास शिक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। खेल-कूद और अन्य शारीरिक गतिविधियाँ बच्चों के पूर्ण विकास में सहायक होती हैं।
- स्वतंत्रता पर जोर: यह दर्शन बच्चों को स्वतंत्र रूप से सोचने और निर्णय लेने की प्रेरणा देता है। इसका उद्देश्य बच्चों को स्वाभाविक रूप से विकसित होने का अवसर प्रदान करना है, ताकि वे अपने आप में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बन सकें।
3. यथार्थवाद (Realism)
शिक्षा में यथार्थवाद का योगदान:
- विज्ञान और तकनीकी शिक्षा पर बल: यथार्थवादी शिक्षा प्रणाली में विज्ञान और गणित जैसे विषयों का विशेष महत्व है, क्योंकि ये विषय छात्रों को वास्तविकता को समझने में मदद करते हैं। विज्ञान के माध्यम से छात्र वस्तुनिष्ठ सच्चाइयों और सिद्धांतों को समझ सकते हैं।
- तथ्यों और तर्क पर जोर: यथार्थवाद छात्रों को तर्कसंगत और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से सोचने की प्रेरणा देता है। यह छात्रों को उन तथ्यों और सिद्धांतों के माध्यम से ज्ञान प्रदान करता है, जो वस्तुनिष्ठ रूप से सत्यापित किए जा सकते हैं।
- शिक्षा का प्रायोगिक दृष्टिकोण: यथार्थवादी शिक्षा में प्रायोगिक शिक्षा (experiential learning) को विशेष महत्व दिया जाता है। छात्रों को प्रयोगों और अनुसंधान के माध्यम से सीखने का अवसर प्रदान किया जाता है, ताकि वे सैद्धांतिक ज्ञान को वास्तविक जीवन में लागू कर सकें।
- शिक्षक का मार्गदर्शक के रूप में योगदान: यथार्थवाद में शिक्षक को मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है, जो छात्रों को सच्चाई की ओर प्रेरित करता है। शिक्षक का कार्य छात्रों को तर्कसंगत रूप से सोचना और वस्तुनिष्ठ तथ्यों को समझने में मदद करना है।
4. प्रयोजनवाद (Pragmatism)
शिक्षा में प्रयोजनवाद का योगदान:
- अनुभव आधारित शिक्षा: प्रयोजनवादी शिक्षा में अनुभव और क्रिया के माध्यम से शिक्षा देने पर बल दिया जाता है। यह दर्शन छात्रों को जीवन के वास्तविक अनुभवों से शिक्षा प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।
- समस्याओं का समाधान: प्रयोजनवादी शिक्षा प्रणाली में छात्रों को समस्याओं का समाधान निकालने के लिए प्रेरित किया जाता है। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं है, बल्कि छात्रों को व्यावहारिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है।
- सामाजिक शिक्षा: प्रयोजनवाद यह मानता है कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को समाज के लिए उपयोगी बनाना है। इसका मानना है कि शिक्षा को सामाजिक आवश्यकताओं और समस्याओं के अनुरूप होना चाहिए।
- स्वतंत्रता और लचीलापन: प्रयोजनवादी शिक्षा छात्रों को अपनी विचारधारा और दृष्टिकोण में स्वतंत्रता और लचीलापन प्रदान करती है। इसका उद्देश्य छात्रों को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान देना है, बल्कि उन्हें व्यावहारिक जीवन में आने वाली समस्याओं को हल करने के योग्य बनाना भी है।
- लोकतांत्रिक दृष्टिकोण: प्रयोजनवादी शिक्षा प्रणाली में लोकतांत्रिक दृष्टिकोण अपनाया जाता है, जहाँ शिक्षक और छात्र दोनों मिलकर शिक्षा की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। यह शिक्षण प्रक्रिया को अधिक सहभागिता-पूर्ण और संवादात्मक बनाता है।
निष्कर्ष
शिक्षा में आदर्शवाद, प्रकृतिवाद, यथार्थवाद और प्रयोजनवाद, चारों दार्शनिक दृष्टिकोण अपने-अपने तरीकों से शिक्षा की दिशा और उद्देश्य को परिभाषित करते हैं। आदर्शवाद शिक्षा को नैतिक और आध्यात्मिक विकास का साधन मानता है, जबकि प्रकृतिवाद इसे स्वाभाविक विकास और अनुभव के साथ जोड़ता है। यथार्थवाद तर्कसंगत सोच और वस्तुनिष्ठ तथ्यों पर जोर देता है, जबकि प्रयोजनवाद व्यावहारिक जीवन के लिए छात्रों को तैयार करता है। शिक्षा में इन सभी विचारधाराओं का अपना-अपना महत्वपूर्ण स्थान और योगदान है, जो शिक्षा प्रणाली को समृद्ध और बहुआयामी बनाते हैं।
Subscribe on YouTube - NotesWorld
For PDF copy of Solved Assignment
Any University Assignment Solution