बहुलवाद की मुख्य विशेषताओं की विवेचना
बहुलवाद (Pluralism) एक राजनीतिक सिद्धांत है, जो यह मानता है कि समाज में कई स्वतंत्र और विविध समूह होते हैं, और ये समूह विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। बहुलवाद का उद्देश्य सत्ता के केंद्रीकरण से बचना और विभिन्न समूहों के बीच सत्ता के बंटवारे को प्रोत्साहित करना है। यह सिद्धांत लोकतंत्र के साथ मेल खाता है और यह मानता है कि शक्ति का विकेंद्रीकरण समाज में विविधता और संतुलन बनाए रखने में सहायक है।
मुख्य विशेषताएँ:
- विविधता का स्वीकार:बहुलवाद के अनुसार, समाज में विभिन्न प्रकार के समूह होते हैं, जैसे राजनीतिक दल, धार्मिक समूह, व्यापारिक संघ, और अन्य संगठित हित समूह। ये समूह समाज के विभिन्न हिस्सों का प्रतिनिधित्व करते हैं और अपने-अपने अधिकारों और हितों की रक्षा करते हैं।
- सत्ता का विकेंद्रीकरण:बहुलवाद शक्ति के केंद्रीकरण का विरोध करता है। इसके अनुसार, सत्ता को विभिन्न समूहों के बीच बांटकर रखना चाहिए ताकि कोई भी समूह अत्यधिक शक्तिशाली न बन सके। यह शासन के विभिन्न स्तरों (जैसे केंद्र, राज्य, और स्थानीय सरकारों) के बीच सत्ता का बंटवारा करने का समर्थन करता है।
- संवाद और सहमति:बहुलवाद संवाद और सहमति पर आधारित होता है। इसमें विभिन्न समूहों के बीच बातचीत और सहमति के माध्यम से निर्णय लिए जाते हैं। कोई भी एकल समूह पूरे समाज के लिए निर्णय नहीं ले सकता; सभी समूहों के हितों का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
- अधिकारों की सुरक्षा:बहुलवाद उन समूहों की रक्षा करता है जो संख्या में कम हो सकते हैं या समाज के किनारे पर हो सकते हैं। यह अल्पसंख्यक समूहों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए उनके संगठनों को मान्यता देता है और उन्हें राजनीतिक शक्ति में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।
आलोचना:
- बहुलवाद की आलोचना यह है कि यह सत्ता का बिखराव करता है, जिससे शासन की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और निर्णय लेने में विलंब होता है।
- बहुलवाद में बड़े और शक्तिशाली समूहों को अन्य छोटे समूहों पर प्रभुत्व जमाने का अवसर मिल सकता है।
- मार्क्सवादी विचारक बहुलवाद की आलोचना करते हुए कहते हैं कि यह वर्ग संघर्ष और आर्थिक असमानता को अनदेखा करता है, और समाज के अमीर और शक्तिशाली वर्गों के हितों की रक्षा करता है।
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