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विधि की पश्रिभाषा दीजिए। कानून के विभिन्न स्रोत क्या हैं?

विधि की परिभाषा और कानून के विभिन्न स्रोत

विधि (Law) किसी भी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है, जो समाज में व्यवस्था बनाए रखने, अधिकारों की रक्षा करने, और नागरिकों के बीच विवादों को हल करने में सहायक होती है। विधि वह प्रणाली है, जिसके माध्यम से एक राज्य अपने नागरिकों के व्यवहार और कार्यों को नियंत्रित करता है। यह शासन के नियमों, प्रक्रियाओं, और मानदंडों का एक संगठित ढांचा होता है, जो समाज में अनुशासन और न्याय को सुनिश्चित करता है।

विधि की उत्पत्ति, स्वरूप, और उद्देश्य विभिन्न समाजों में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य एक संगठित और सुव्यवस्थित समाज की स्थापना और उसके विकास को सुनिश्चित करना होता है। कानून किसी समाज की बुनियादी संरचना है, जिसके माध्यम से समाज के सदस्य अपनी गतिविधियों को निर्देशित और नियंत्रित करते हैं। इसके बिना समाज में अराजकता और अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है।

विधि की परिभाषा

विधि को परिभाषित करने के कई प्रयास किए गए हैं, और इसके विभिन्न संदर्भों में भिन्न-भिन्न अर्थ हो सकते हैं। विधि की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:

1. ऑस्टिन की परिभाषा: जॉन ऑस्टिन के अनुसार, "विधि संप्रभु द्वारा दिए गए आदेश हैं, जिन्हें समाज के लोग पालन करने के लिए बाध्य होते हैं।" ऑस्टिन का यह दृष्टिकोण विधिवादी (legalistic) है, जिसमें विधि को एक सर्वोच्च आदेश के रूप में देखा जाता है।

2. सल्मॉन्ड की परिभाषा: जॉन विलियम सल्मॉन्ड ने विधि को "उन सिद्धांतों का समूह माना जो न्यायालय द्वारा मान्यता प्राप्त और प्रवर्तित होते हैं।" इस दृष्टिकोण में न्यायालय की भूमिका पर जोर दिया गया है और कानून की वैधता न्यायालय द्वारा तय की जाती है। 

3. रॉसको पाउंड की परिभाषा: रॉसको पाउंड ने विधि को "समाज में हितों को संतुलित करने का साधन" बताया। उनके अनुसार, कानून का मुख्य उद्देश्य विभिन्न व्यक्तियों, समूहों और समाज के हितों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है।

4. केल्सन की परिभाषा: हैंस केल्सन के अनुसार, "विधि एक आदर्श मानदंड प्रणाली है, जो समाज में नागरिकों के व्यवहार को नियंत्रित करती है।" यह परिभाषा विधि को एक वैज्ञानिक और तर्कसंगत प्रणाली के रूप में देखती है।

इन परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि विधि का उद्देश्य समाज में नियम और अनुशासन स्थापित करना, न्याय दिलाना, और समाज के सदस्यों के बीच संतुलन बनाए रखना होता है।

कानून के विभिन्न स्रोत

विधि या कानून के स्रोतों का मतलब उन माध्यमों से है, जिनसे कानून का निर्माण, विकास, और प्रवर्तन होता है। कानून विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न हो सकता है, और इसकी उत्पत्ति और विकास समाज की जरूरतों, परंपराओं, और शासन के ढांचे पर निर्भर करता है। सामान्यतः कानून के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं:

1. विधायिका (Legislation)

विधायिका कानून का सबसे महत्वपूर्ण और औपचारिक स्रोत है। इसका तात्पर्य उन नियमों और कानूनों से है, जो संसद या विधानमंडल द्वारा बनाए जाते हैं। विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों को 'सांविधिक कानून' (Statutory Law) कहा जाता है।

विधायिका के अंतर्गत कानून का निर्माण तीन मुख्य स्तरों पर होता है:

  • केंद्रीय विधायिका (Central Legislature): केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून, जो पूरे देश में लागू होते हैं। उदाहरणस्वरूप, भारत में संसद द्वारा पारित कानून।

  • राज्य विधायिका (State Legislature): राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानून, जो केवल उस राज्य में लागू होते हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र या उत्तर प्रदेश की विधानसभा द्वारा बनाए गए कानून।

  • स्थानीय विधायिका (Local Legislature): स्थानीय निकायों (जैसे नगर निगम) द्वारा बनाए गए नियम और विनियम। ये नियम केवल स्थानीय स्तर पर लागू होते हैं और स्थानीय प्रशासन को संचालित करने में मदद करते हैं।

विधायिका द्वारा बनाए गए कानून सर्वाधिक प्रभावी होते हैं क्योंकि ये औपचारिक रूप से पारित किए जाते हैं और इनका पालन अनिवार्य होता है।

2. प्राचीन और परंपरागत कानून (Customary Law)

कानून का दूसरा प्रमुख स्रोत परंपराएं और रीतियां होती हैं। यह कानून समाज में लंबे समय से प्रचलित परंपराओं और रीति-रिवाजों पर आधारित होते हैं।

प्राचीन काल में, जब विधायिकाएँ या औपचारिक कानून प्रणाली नहीं थीं, समाज अपने व्यवहार को परंपराओं और रीतियों के आधार पर नियंत्रित करता था। कई परंपराएं और रीति-रिवाज आज भी कानून का हिस्सा माने जाते हैं, खासकर पारिवारिक और धार्मिक मामलों में। उदाहरणस्वरूप, भारत में हिंदू विवाह कानून और इस्लामी कानून कई मामलों में प्राचीन परंपराओं पर आधारित हैं।

3. न्यायिक निर्णय (Judicial Decisions)

न्यायिक निर्णय या न्यायालय के फैसले कानून का एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं। न्यायालयों द्वारा दिए गए फैसले 'न्यायिक दृष्टांत' (Judicial Precedents) कहलाते हैं, और ये भविष्य के मामलों में दिशा-निर्देश के रूप में काम करते हैं।

जब न्यायालय कोई निर्णय देता है, तो वह कानूनी सिद्धांतों को स्पष्ट करता है और उन पर आधारित नया कानून बनाता है। इन निर्णयों का पालन अन्य न्यायालयों द्वारा भी किया जाता है, विशेषकर उच्चतम न्यायालय के फैसलों का। उदाहरणस्वरूप, भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा दिया गया कोई भी निर्णय पूरे देश में मान्य होता है, और इसे सभी निचली अदालतों द्वारा पालन किया जाना आवश्यक होता है।

4. विधानिक कानून (Constitutional Law)

संविधान किसी भी देश का सर्वोच्च कानून होता है। यह कानून का प्रमुख स्रोत होता है और इसके तहत अन्य सभी कानून बनाए जाते हैं। संविधान में देश की शासन व्यवस्था, नागरिकों के मौलिक अधिकार, और सरकार के विभिन्न अंगों के कार्यों को निर्धारित किया जाता है।

संविधान द्वारा प्रदत्त कानून सर्वोच्च होते हैं, और किसी भी अन्य कानून को संविधान के खिलाफ नहीं बनाया जा सकता। उदाहरणस्वरूप, भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ कोई भी कानून विधायिका द्वारा नहीं बनाया जा सकता। यदि कोई कानून संविधान के विरुद्ध पाया जाता है, तो न्यायालय उसे असंवैधानिक घोषित कर सकता है।

5. धार्मिक और नैतिक स्रोत (Religious and Moral Sources)

कई समाजों में कानून का निर्माण धार्मिक ग्रंथों और नैतिक सिद्धांतों के आधार पर होता है। विशेष रूप से प्राचीन समय में, धर्म और कानून के बीच घनिष्ठ संबंध था। आज भी कई देशों में धार्मिक कानूनों का पालन किया जाता है, विशेषकर इस्लामी कानून (शरीयत), यहूदी कानून, और हिंदू धर्मशास्त्रों पर आधारित कानून।

उदाहरणस्वरूप, भारत में विवाह, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में धार्मिक कानूनों का महत्वपूर्ण स्थान है। इसी तरह, मुस्लिम देशों में शरीयत कानून कई मामलों में लागू होता है।

6. अंतरराष्ट्रीय कानून (International Law)

कानून का एक अन्य महत्वपूर्ण स्रोत अंतरराष्ट्रीय संधियाँ और समझौते होते हैं। आज की वैश्विक दुनिया में देशों के बीच सहयोग और विवादों के निपटारे के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का निर्माण किया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय कानून देश के घरेलू कानून से भिन्न होते हैं, लेकिन जब कोई देश किसी अंतरराष्ट्रीय संधि या समझौते पर हस्ताक्षर करता है, तो वह उसे अपने देश के कानून के तहत मान्यता देता है। उदाहरणस्वरूप, संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संधि या जलवायु परिवर्तन से संबंधित पेरिस समझौता।

निष्कर्ष

विधि समाज में एक संगठित और अनुशासित प्रणाली बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। कानून समाज के सभी सदस्यों को समान रूप से नियंत्रित करता है और समाज में शांति और न्याय को सुनिश्चित करता है।

कानून के विभिन्न स्रोत, जैसे विधायिका, न्यायिक निर्णय, परंपराएं, संविधान, धार्मिक नियम, और अंतरराष्ट्रीय कानून, यह दिखाते हैं कि कानून का निर्माण और विकास एक जटिल प्रक्रिया है, जो समय और समाज की जरूरतों के अनुसार बदलता रहता है।

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