Type Here to Get Search Results !

Hollywood Movies

Solved Assignment PDF

Buy NIOS Solved Assignment 2025!

शिक्षा मनोविज्ञान की प्रमुख विधियां कौन-कौन सी है? किन्ही दो विधियों का सविस्तार वर्णन कीजिए।

शिक्षा मनोविज्ञान की प्रमुख विधियां

शिक्षा मनोविज्ञान एक ऐसा क्षेत्र है जो शिक्षण और सीखने की प्रक्रियाओं को समझने, उनमें सुधार लाने और विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देने का कार्य करता है। यह विधाएं विद्यार्थी के मानसिक और शारीरिक विकास, शिक्षण सामग्री की प्रकृति और शिक्षण की प्रभावी विधियों पर आधारित होती हैं। शिक्षा मनोविज्ञान की प्रमुख विधियों में शामिल हैं:

  1. प्रेक्षण विधि (Observation Method)
  2. प्रयोगात्मक विधि (Experimental Method)
  3. साक्षात्कार विधि (Interview Method)
  4. सर्वेक्षण विधि (Survey Method)
  5. अंतः प्रेक्षण विधि (Introspection Method)
  6. सांख्यिकीय विधि (Statistical Method)
  7. मामले का अध्ययन विधि (Case Study Method)

अब हम इनमें से दो प्रमुख विधियों का सविस्तार वर्णन करेंगे:

1. प्रेक्षण विधि (Observation Method)

परिचय:
प्रेक्षण विधि शिक्षा मनोविज्ञान की एक महत्वपूर्ण विधि है जिसके द्वारा शिक्षार्थी की व्यवहारिक और मानसिक प्रवृत्तियों का अध्ययन किया जाता है। इस विधि में शिक्षक या शोधकर्ता विद्यार्थियों के व्यवहार को बिना किसी हस्तक्षेप के देखने और रिकॉर्ड करने का कार्य करते हैं। यह विधि सीखने की प्रक्रिया, विद्यार्थी की अभिव्यक्तियों और वातावरण के साथ उनकी प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने के लिए उपयोगी होती है।

विशेषताएं:

  • सीधा अवलोकन: इस विधि में शोधकर्ता विद्यार्थी की वास्तविक क्रियाओं और व्यवहारों का निरीक्षण करता है। इससे शोधकर्ता को किसी प्रकार की कृत्रिमता से मुक्त, वास्तविक जानकारी प्राप्त होती है।
  • प्राकृतिक वातावरण: प्रेक्षण विधि में विद्यार्थी को उनके प्राकृतिक वातावरण में अध्ययन किया जाता है, जिससे उनके वास्तविक व्यवहार का अध्ययन करने में आसानी होती है।
  • व्यवहारिक प्रवृत्तियों का अध्ययन: इस विधि के माध्यम से बच्चे की अभिव्यक्तियों, आदतों और प्रतिक्रियाओं को बिना किसी पूर्वाग्रह के देखा जा सकता है।
  • स्वतंत्रता: प्रेक्षण विधि में विद्यार्थियों पर कोई दबाव नहीं होता है, जिससे उनका व्यवहार स्वाभाविक रूप से प्रकट होता है।

प्रकार:
प्रेक्षण विधि के प्रमुख दो प्रकार हैं:

  • प्रत्यक्ष प्रेक्षण: इसमें विद्यार्थी के व्यवहार का सीधे तौर पर निरीक्षण किया जाता है।
  • अप्रत्यक्ष प्रेक्षण: इसमें विद्यार्थी के व्यवहार को किसी अन्य माध्यम (जैसे कैमरा, रिकॉर्डिंग आदि) से देखा और रिकॉर्ड किया जाता है।

लाभ:

  • यह विधि किसी भी विषय की जटिलताओं को समझने में सहायक होती है।
  • इसमें वास्तविक समय में विद्यार्थी के व्यवहार को रिकॉर्ड किया जा सकता है।
  • यह विधि शिक्षण की प्रक्रिया को सुधारने के लिए उपयोगी होती है।

सीमाएं:

  • यह विधि समय और संसाधनों की अधिक मांग करती है।
  • शोधकर्ता के पूर्वाग्रह या निजी दृष्टिकोण से परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
  • सभी विद्यार्थियों के व्यवहार को समान रूप से रिकॉर्ड करना मुश्किल होता है।

उदाहरण:
यदि शिक्षक यह देखना चाहते हैं कि कक्षा में बच्चे किस प्रकार से अपने समूह के साथ सहभागिता करते हैं, तो वह इस विधि का प्रयोग कर सकते हैं। इसके तहत, शिक्षक कक्षा में बिना किसी हस्तक्षेप के विद्यार्थियों के व्यवहार और संवाद को देखते हैं और उनके अध्ययन और सहभागिता के पैटर्न को रिकॉर्ड करते हैं।

2. प्रयोगात्मक विधि (Experimental Method)

परिचय:
प्रयोगात्मक विधि शिक्षा मनोविज्ञान में सबसे अधिक व्यवस्थित और वैज्ञानिक विधि मानी जाती है। इस विधि में शोधकर्ता किसी विशेष स्थिति में शिक्षार्थियों पर नियंत्रण और हस्तक्षेप करके उनके व्यवहार का अध्ययन करता है। यह विधि शिक्षण के प्रभावों को मापने और उनकी वास्तविकताओं को समझने में सहायक होती है।

विशेषताएं:

  • नियंत्रण: प्रयोगात्मक विधि में शोधकर्ता स्थिति को नियंत्रित कर सकता है और विभिन्न कारकों का अध्ययन कर सकता है।
  • उत्तेजनाओं का नियमन: इस विधि में शोधकर्ता अलग-अलग उत्तेजनाओं (stimuli) का प्रयोग कर सकता है और उनके प्रभावों का अध्ययन कर सकता है।
  • सटीकता: इस विधि में सटीक और वस्तुनिष्ठ परिणाम प्राप्त होते हैं, क्योंकि प्रयोग नियंत्रणित परिस्थितियों में किए जाते हैं।
  • पुनरावृत्ति: इस विधि का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे बार-बार दोहराया जा सकता है और प्राप्त परिणामों की पुष्टि की जा सकती है।

प्रकार:
प्रयोगात्मक विधि के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • प्रयोगशाला प्रयोग: इसमें शोधकर्ता एक नियंत्रित वातावरण (जैसे प्रयोगशाला) में प्रयोग करता है। यह बहुत ही वैज्ञानिक और विश्वसनीय विधि होती है।
  • क्षेत्र प्रयोग: इसमें शोधकर्ता वास्तविक वातावरण में विद्यार्थियों पर प्रयोग करता है। इसका फायदा यह है कि इसमें विद्यार्थियों के वास्तविक जीवन व्यवहार का अध्ययन किया जा सकता है।

लाभ:

  • प्रयोगात्मक विधि में अध्ययन के परिणाम सटीक और विश्वसनीय होते हैं।
  • यह विधि नई शिक्षण रणनीतियों के परीक्षण में सहायक होती है।
  • इससे विभिन्न कारकों के बीच संबंधों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

सीमाएं:

  • यह विधि समय, संसाधन और लागत की दृष्टि से महंगी होती है।
  • इस विधि में प्रयोगशाला स्थितियों में किए गए प्रयोग हमेशा वास्तविक जीवन में लागू नहीं होते।
  • कई बार विद्यार्थियों के व्यवहार पर अप्राकृतिक नियंत्रण करने से परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

उदाहरण:
मान लीजिए कि एक शिक्षक यह देखना चाहते हैं कि कौन सा शिक्षण तरीका (जैसे व्याख्यान विधि या समूह चर्चा) अधिक प्रभावी है। इसके लिए वे दो समूह बनाकर एक समूह को व्याख्यान विधि से और दूसरे समूह को समूह चर्चा से पढ़ाते हैं। इसके बाद दोनों समूहों के परिणामों की तुलना करते हैं और यह निष्कर्ष निकालते हैं कि कौन सा तरीका अधिक प्रभावी है।

निष्कर्ष:

शिक्षा मनोविज्ञान की विभिन्न विधियां शिक्षकों और शोधकर्ताओं को विद्यार्थियों के व्यवहार, उनके मानसिक विकास और शिक्षण की प्रभावशीलता को समझने में मदद करती हैं। प्रेक्षण विधि और प्रयोगात्मक विधि दोनों ही शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन के महत्वपूर्ण उपकरण हैं। जबकि प्रेक्षण विधि प्राकृतिक वातावरण में विद्यार्थियों के स्वाभाविक व्यवहार का अध्ययन करने में सहायक होती है, वहीं प्रयोगात्मक विधि सटीक और नियंत्रित परिणामों को प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अनुसरण करती है। दोनों विधियों का उचित उपयोग शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करने और विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने में सहायक होता है।

Subscribe on YouTube - NotesWorld

For PDF copy of Solved Assignment

Any University Assignment Solution

WhatsApp - 9113311883 (Paid)

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Technology

close