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किशोरावस्था की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।

किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण विकासात्मक अवस्था है, जो लगभग 12 से 18 वर्ष के बीच होती है। यह चरण न केवल शारीरिक विकास, बल्कि मानसिक, भावनात्मक, और सामाजिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान किशोरों के व्यवहार, सोचने की क्षमता, और सामाजिक संबंधों में गहरा परिवर्तन देखने को मिलता है। किशोरावस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

क) शारीरिक परिवर्तन:
किशोरावस्था में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव शारीरिक होते हैं। इस अवधि में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जो शरीर के विकास को प्रभावित करते हैं। लड़कों में आवाज का भारी होना, मांसपेशियों का विकास, और शारीरिक ऊंचाई में वृद्धि होती है। लड़कियों में स्तनों का विकास, मासिक धर्म का शुरू होना, और शारीरिक परिवर्तन होते हैं।

ख) भावनात्मक अस्थिरता:
किशोरावस्था में भावनाओं में अस्थिरता अधिक होती है। इस समय किशोर मानसिक रूप से स्वयं को समझने की कोशिश करते हैं और यह समझते हैं कि वे समाज में किस स्थान पर हैं। इससे कई बार उनमें तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी भावनाएँ उत्पन्न होती हैं।

ग) पहचान की खोज (Identity Crisis):
किशोरावस्था का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि किशोर अपनी पहचान की खोज में होते हैं। वे यह समझने का प्रयास करते हैं कि वे कौन हैं और उनके जीवन का उद्देश्य क्या है। इस समय उन्हें सामाजिक मान्यताओं, पारिवारिक अपेक्षाओं, और उनके स्वयं के विचारों के बीच सामंजस्य बैठाने की कठिनाई होती है।

घ) आत्मनिर्भरता की भावना:
इस अवस्था में किशोर अधिक स्वतंत्र महसूस करते हैं और अपने निर्णय स्वयं लेने का प्रयास करते हैं। वे अपने माता-पिता और शिक्षकों की राय से हटकर अपने विचारों और अनुभवों पर निर्भर करना चाहते हैं।

ङ) समूह में पहचान:
किशोरों के लिए इस समय सामाजिक संबंध अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। वे अपने हमउम्र लोगों के साथ अधिक समय बिताना पसंद करते हैं और समूह में अपनी पहचान बनाने का प्रयास करते हैं।

च) यौन विकास:
किशोरावस्था के दौरान यौन जागरूकता और रुचि विकसित होती है। हार्मोनल बदलावों के कारण किशोर यौन संवेदनाओं और इच्छाओं को महसूस करते हैं, जिससे उनके संबंधों में गहराई आती है।

छ) बौद्धिक विकास:
इस अवधि में किशोरों की बौद्धिक क्षमता में भी वृद्धि होती है। वे अमूर्त रूप से सोचने, तर्क करने, और समस्याओं का समाधान करने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा, वे नैतिकता, न्याय, और समानता जैसी अवधारणाओं पर भी विचार करने लगते हैं।

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