सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (Information Technology Act, 2000) भारत में डिजिटल लेनदेन और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स को वैधानिक मान्यता देने के लिए लागू किया गया था। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
1. इलेक्ट्रॉनिक डाक (E-mail) और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़:
अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक डाक और दस्तावेजों को वैधता प्रदान करता है। इसके अंतर्गत, इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजे गए सभी दस्तावेजों को कागजी दस्तावेजों के समान मान्यता दी जाती है।
2. डिजिटल हस्ताक्षर:
अधिनियम में डिजिटल हस्ताक्षरों को मान्यता दी गई है, जो सुरक्षा और प्रामाणिकता की गारंटी देते हैं। डिजिटल हस्ताक्षर के उपयोग से दस्तावेजों की पहचान और अखंडता सुनिश्चित होती है।
3. साइबर अपराध और दंड:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में साइबर अपराधों, जैसे कि हैकिंग, डाटा चोरी, और जालसाजी के लिए दंड के प्रावधान हैं। यह अधिनियम इन अपराधों के लिए सजा और जुर्माना लगाने के नियमों को स्पष्ट करता है।
4. सूचना सुरक्षा:
अधिनियम में सूचना के संरक्षण और सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं। यह संगठनों को सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए बाध्य करता है, ताकि संवेदनशील जानकारी की रक्षा की जा सके।
5. संचार की गोपनीयता:
अधिनियम में व्यक्तिगत जानकारी और डेटा की गोपनीयता की सुरक्षा का प्रावधान है। यह निर्देश देता है कि किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी बिना उसकी सहमति के साझा नहीं की जा सकती है।
6. सभी साइबर स्पेस गतिविधियों के लिए विनियमन:
अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि सभी साइबर गतिविधियों का विनियमन किया जाए और आवश्यकताओं के अनुसार दिशानिर्देशों का पालन किया जाए।
7. प्रवर्तन एजेंसियाँ:
अधिनियम के अंतर्गत साइबर अपराधों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए विशेष प्रवर्तन एजेंसियों की नियुक्ति की गई है। ये एजेंसियाँ सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी मामलों में त्वरित कार्रवाई कर सकती हैं।
इन प्रावधानों के माध्यम से, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 भारत में डिजिटल लेनदेन को सुरक्षित और वैधानिक मान्यता प्रदान करता है, साथ ही साइबर अपराधों के खिलाफ एक मजबूत ढांचा स्थापित करता है।
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