सूचना का अधिकार (Right to Information, RTI) 2005 में अधिनियमित एक ऐसा कानून है, जो प्रत्येक नागरिक को सरकार और सार्वजनिक प्राधिकरणों के कार्यों, निर्णयों और नीतियों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। यह अधिकार भारत में नागरिकों के मानवाधिकारों के संवर्द्धन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सूचना का अधिकार सरकार और प्रशासनिक प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने में सहायक है। जब नागरिकों को यह अधिकार होता है कि वे सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें, तो यह भ्रष्टाचार, दमन, और अन्याय की संभावनाओं को कम करता है। नागरिक सरकार की कार्यवाहियों पर निगरानी रख सकते हैं, जिससे उनकी मौलिक स्वतंत्रता और न्याय की सुरक्षा होती है।
मानव अधिकारों की दृष्टि से, RTI यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकों को जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा, सही समय पर उपलब्ध कराई जाएं। नागरिक RTI का उपयोग कर यह पता कर सकते हैं कि सरकार ने उनके लिए किए गए वादों और योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन किया या नहीं। अगर कोई सरकारी योजना किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन करती है या उसे न्याय से वंचित करती है, तो RTI के माध्यम से यह जानकारी उजागर की जा सकती है, और उस नागरिक को न्याय पाने में मदद मिलती है।
इस प्रकार, सूचना का अधिकार नागरिकों को अपने मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्द्धन में सशक्त बनाता है और यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी तंत्र पारदर्शी और जवाबदेह हो।
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