शास्त्रीय दृष्टिकोण के महत्त्व पर चर्चा
शास्त्रीय दृष्टिकोण (Classical Approach) प्रशासन और प्रबंधन के अध्ययन में एक प्रमुख और प्रारंभिक दृष्टिकोण था, जो विशेष रूप से 19वीं और 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों में प्रचलित था। यह दृष्टिकोण संगठन के कार्यों को अधिक व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से संचालित करने पर जोर देता था, ताकि कार्यकुशलता और उत्पादकता में वृद्धि हो सके। शास्त्रीय दृष्टिकोण ने प्रबंधन के सिद्धांतों की नींव रखी और इसे संस्थाओं के प्रबंधन में एक व्यवस्थित तरीके से लागू करने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया।
इस दृष्टिकोण का मुख्य उद्देश्य संगठन की संरचना को वैज्ञानिक रूप से व्यवस्थित करना, कार्यों का विभाजन करना, और अधिक उत्पादकता प्राप्त करना था। शास्त्रीय दृष्टिकोण में तीन प्रमुख धाराएँ थीं: वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत (Scientific Management Theory), व्यवस्था सिद्धांत (Administrative Theory), और प्रबंधकीय दृष्टिकोण (Bureaucratic Management Theory)। इन सभी के योगदान और महत्त्व को समझते हुए, हम शास्त्रीय दृष्टिकोण के महत्त्व को विश्लेषित कर सकते हैं।
1. वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत (Scientific Management Theory)
यह सिद्धांत फ्रेडरिक टेलर द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसने कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए कार्यों के वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण पर जोर दिया। टेलर ने कार्यों को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करने, समय और श्रम का विश्लेषण करने, और श्रमिकों के लिए मानकीकृत कार्य विधियाँ स्थापित करने की आवश्यकता बताई। इस दृष्टिकोण का मुख्य उद्देश्य कार्यों को इस प्रकार व्यवस्थित करना था कि हर श्रमिक अपनी अधिकतम क्षमता का उपयोग कर सके, और संगठन को सर्वोत्तम परिणाम मिल सकें।
महत्त्व: इस सिद्धांत ने कार्यस्थल पर उत्पादकता और कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए एक प्रणाली विकसित की, जो आज भी औद्योगिक प्रबंधन में लागू होती है। कार्यों के मानकीकरण और श्रमिकों की दक्षता को बढ़ाने के सिद्धांत ने संगठन के समग्र प्रदर्शन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. व्यवस्था सिद्धांत (Administrative Theory)
हेनरी फयोल ने प्रशासन के लिए एक सामान्य सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसे "प्रबंधकीय कार्य सिद्धांत" (General Principles of Management) कहा जाता है। फयोल ने प्रबंधन को पाँच प्रमुख कार्यों में विभाजित किया—योजना बनाना, आयोजन करना, निर्देशन करना, समन्वय करना, और नियंत्रण करना। इसके अलावा, उन्होंने 14 प्रशासनिक सिद्धांत भी विकसित किए, जो संगठन के प्रत्येक पहलू को व्यवस्थित करने में मदद करते थे।
3. प्रबंधकीय दृष्टिकोण (Bureaucratic Management Theory)
मैक्स वेबर ने "ब्यूरोक्रेसी" के सिद्धांत को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने संगठन में स्पष्ट संरचनाएँ और प्रक्रियाएँ स्थापित करने की आवश्यकता बताई। वेबर के अनुसार, संगठन को अनुशासन और नियमों के आधार पर चलाना चाहिए। उनका मानना था कि कार्यों को अधिक कुशलता से करने के लिए स्पष्ट पदों, जिम्मेदारियों, और अधिकारों की व्यवस्था होनी चाहिए।
महत्त्व: वेबर के सिद्धांत ने यह स्थापित किया कि किसी भी संगठन में नियमों और नियमित प्रक्रियाओं का पालन करने से कार्यों में पारदर्शिता और न्यायसंगत तरीके से काम किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप, ब्यूरोक्रेसी ने सरकारी और निजी संगठनों में उच्च स्तर की अनुशासनात्मक व्यवस्था सुनिश्चित की। उनके सिद्धांत ने आज के संगठनात्मक संरचनाओं की नींव रखी, विशेष रूप से सरकारी और बड़े संस्थानों में।
शास्त्रीय दृष्टिकोण का समग्र महत्त्व
- कार्यकुशलता में वृद्धि: शास्त्रीय दृष्टिकोण के अंतर्गत कार्यों का विभाजन, कार्य की मानकीकरण, और एक सामान्य संरचना की स्थापना के कारण संगठन में कार्यकुशलता और उत्पादकता में सुधार हुआ। उदाहरण के लिए, टेलर का वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत कार्यों को छोटे हिस्सों में विभाजित करने से कर्मचारियों की उत्पादकता को बढ़ाता था।
- स्पष्ट संरचना और आदेश: फयोल और वेबर के सिद्धांतों ने संगठन में स्पष्टता और अनुशासन स्थापित किया। यह सुनिश्चित करता था कि संगठन के सभी सदस्य अपनी जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से समझते हैं और सही तरीके से कार्य करते हैं।
- प्रबंधन के सिद्धांतों का विकास: शास्त्रीय दृष्टिकोण ने प्रबंधन के सिद्धांतों की नींव रखी, जो आज के प्रबंधन शास्त्रों के लिए आधार बन गए हैं। फयोल के 14 सिद्धांत, टेलर का कार्य विश्लेषण, और वेबर का ब्यूरोक्रेटिक सिद्धांत, आज भी संगठनों में प्रबंधन के अभ्यास में लागू होते हैं।
- संगठन की संरचना और पदानुक्रम: शास्त्रीय दृष्टिकोण ने संगठन के भीतर एक स्पष्ट संरचना और पदानुक्रम की आवश्यकता को समझाया, जो निर्णय लेने और कार्यों को व्यवस्थित करने में मदद करता है। इसने उच्च और निम्न पदों के बीच स्पष्ट अंतर स्थापित किया, जिससे हर व्यक्ति को अपनी भूमिका का बोध हुआ।
- संगठन में स्थिरता और नियंत्रण: शास्त्रीय दृष्टिकोण ने संगठन में नियंत्रण, स्थिरता और अनुशासन को बढ़ावा दिया, जो संगठन के दीर्घकालिक विकास और सफलता के लिए आवश्यक थे।
निष्कर्ष
शास्त्रीय दृष्टिकोण के सिद्धांतों ने प्रबंधन और प्रशासन के क्षेत्र में एक स्थिर और व्यवस्थित आधार स्थापित किया। इसके द्वारा दिए गए विचार, सिद्धांत और तकनीकों ने कार्यों को और अधिक वैज्ञानिक और प्रभावी बनाया। हालांकि आधुनिक प्रबंधन सिद्धांतों ने शास्त्रीय दृष्टिकोण के कुछ पहलुओं को चुनौती दी है, फिर भी शास्त्रीय दृष्टिकोण के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। यह आज भी संगठनात्मक संरचना, प्रबंधन और प्रशासनिक निर्णयों के लिए एक मूल्यवान मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करता है।
Subscribe on YouTube - NotesWorld
For PDF copy of Solved Assignment
Any University Assignment Solution
