समाज का अर्थ और इसकी विशेषताएँ
समाज (Society) एक ऐसी प्रणाली है जिसमें मनुष्य एक साथ रहते हुए अपने जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और एक दूसरे से संपर्क बनाए रखते हैं। यह एक संगठित समूह होता है जिसमें सामाजिक संबंध, संस्थाएँ, मूल्य, आस्थाएँ, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक आदतें सामूहिक रूप से अस्तित्व में आती हैं। समाज का गठन विभिन्न व्यक्तियों, परिवारों, समुदायों, संस्थाओं और संगठनों से होता है, जो एक दूसरे के साथ निरंतर संपर्क में रहते हैं और मिलकर सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं का निर्माण करते हैं।
समाज एक गतिशील संरचना है, जो अपने इतिहास, संस्कृति और मान्यताओं के आधार पर निरंतर बदलता रहता है। समाज के सदस्यों के बीच आपसी सहयोग और संघर्ष दोनों ही होते हैं, और यह सभी मानव गतिविधियों का केंद्र होता है। समाज का अध्ययन समाजशास्त्र (Sociology) के अंतर्गत किया जाता है, जो यह समझने का प्रयास करता है कि मनुष्य समूहों में कैसे रहते हैं, एक-दूसरे से कैसे जुड़ते हैं, और उनके बीच सामाजिक संरचनाएँ, नियम और मूल्य किस प्रकार काम करते हैं।
समाज का अर्थ:
समाज के शब्दार्थ में विभिन्न परिभाषाएँ दी जा सकती हैं, लेकिन सबसे सामान्य रूप से समाज को एक ऐसा समूह माना जाता है, जिसमें विभिन्न व्यक्तियों के बीच कुछ सामान्य हित, उद्देश्य और जरूरतें होती हैं। समाज एक सामूहिक जीवन का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें सभी सदस्य मिलकर एक स्थिर जीवन का निर्माण करते हैं।
- एडम स्मिथ के अनुसार, समाज वह समूह है जहाँ लोग अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूरा करने के लिए एक-दूसरे से संपर्क करते हैं।
- मैकिवर और मैकिवर के अनुसार, "समाज एक ऐसा समूह है जिसमें लोग संगठित रूप से रहते हैं, एक दूसरे के साथ संबंध रखते हैं और आपसी सहयोग के माध्यम से अपना जीवन यापन करते हैं।"
- इमाइल दुर्केम के अनुसार, समाज एक ऐसी प्रणाली है जिसमें व्यक्ति और समूह के बीच निरंतर संपर्क और सहजीवन होता है, और यह उस समूह के नियमों और मान्यताओं पर आधारित होता है।
समाज की विशेषताएँ:
समाज की विशेषताएँ विभिन्न दृष्टिकोणों से परिभाषित की जा सकती हैं, लेकिन सामान्यतः समाज के निम्नलिखित प्रमुख गुण होते हैं:
1. सामूहिकता: समाज का सबसे महत्वपूर्ण गुण सामूहिकता है। समाज में व्यक्तियों का एक समूह होता है, और यह समूह उनके व्यक्तिगत संबंधों, साझा विश्वासों, और सामान्य आदतों पर आधारित होता है। प्रत्येक व्यक्ति का समाज में एक विशेष स्थान होता है और वह समाज के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर अपना जीवन यापन करता है। समाज एक मिलजुल कर रहने वाली प्रणाली है, जिसमें व्यक्तियों का संबंध और सहयोग अहम भूमिका निभाते हैं।
2. सामाजिक संबंध: समाज में विभिन्न प्रकार के सामाजिक संबंध होते हैं, जैसे पारिवारिक, शैक्षिक, धार्मिक, और आर्थिक संबंध। ये संबंध व्यक्ति और समाज के बीच निरंतर संवाद और संपर्क का आधार होते हैं। सामाजिक संबंध समाज के प्रत्येक सदस्य के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वे समाज के अस्तित्व और विकास के लिए आवश्यक होते हैं। उदाहरण के तौर पर, परिवार में एक रिश्ते का संबंध माता-पिता और बच्चों के बीच होता है, जबकि कार्यस्थल पर संबंध कामकाजी लोगों के बीच होते हैं।
3. संस्था और संरचना: समाज में विभिन्न प्रकार की संस्थाएँ और संरचनाएँ होती हैं जो समाज के कार्यों और उद्देश्यों को संचालित करती हैं। जैसे सरकार, परिवार, शिक्षा प्रणाली, धार्मिक संस्थाएँ, व्यापारिक संस्थाएँ, आदि। ये संस्थाएँ समाज के सदस्यों को कुछ नियम और निर्देश देती हैं, जो उनके व्यवहार और कार्यों को नियंत्रित करती हैं। समाज की संरचना यह सुनिश्चित करती है कि समाज में सभी सदस्य एक समान तरीके से कार्य करें और किसी भी प्रकार के विघटन से बचें।
4. संस्कार और मूल्य: समाज में कुछ सामान्य मूल्य और संस्कार होते हैं जो समाज के प्रत्येक सदस्य द्वारा स्वीकार किए जाते हैं। ये मूल्य समाज की संस्कृति का हिस्सा होते हैं और लोगों के व्यवहार को दिशा देते हैं। जैसे, सत्य बोलना, सम्मान देना, समानता की भावना, और सहयोगी कार्य। ये समाज में सामंजस्य बनाए रखने में मदद करते हैं और इसके सदस्य एक-दूसरे के साथ बेहतर संबंध बना सकते हैं।
5. सांस्कृतिक विविधता: समाज एक सांस्कृतिक प्रणाली होती है, जो समय के साथ विकसित होती है और उसमें विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, और भाषाओं का समावेश होता है। समाज में विविधता होती है और यह विभिन्न जातियों, धर्मों, भाषाओं, और संस्कृतियों के आधार पर बना होता है। उदाहरण स्वरूप, भारत में विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग एक ही समाज का हिस्सा हैं, लेकिन वे अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखते हुए समाज में सामूहिकता का निर्माण करते हैं।
6. अंतर-संबंधिता और सहयोग: समाज के प्रत्येक सदस्य के बीच अंतर-संबंधिता होती है, जिसका मतलब है कि वे एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं और सामाजिक जीवन को सुविधाजनक बनाते हैं। सहयोग एक प्रमुख गुण है जो समाज के अस्तित्व को बनाए रखता है। जैसे, एक परिवार में सदस्य एक-दूसरे की मदद करते हैं, एक कामकाजी समुदाय में लोग एक साथ काम करते हैं और एक राष्ट्र में नागरिक एक-दूसरे के साथ मिलकर देश के विकास में योगदान करते हैं।
7. स्थायित्व और परिवर्तन: समाज में कुछ स्थिरताएँ होती हैं, जैसे संस्थाएँ, मूल्य, और परंपराएँ जो समाज की पहचान को बनाए रखती हैं। हालांकि, समाज में परिवर्तन भी अनिवार्य होता है। समय के साथ, समाज में सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक बदलाव आते रहते हैं। जैसे, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और सूचना तकनीकी का विकास समाज में स्थायी परिवर्तन लाता है। यह परिवर्तन समाज के विकास की प्रक्रिया का हिस्सा है और इसे किसी भी समाज की प्रकृति के रूप में माना जाता है।
8. सामाजिक नियंत्रण: समाज के भीतर एक नियंत्रण प्रणाली भी होती है, जिसे सामाजिक नियंत्रण कहा जाता है। यह वह प्रणाली है जो समाज में अनचाहे या अनुशासनहीन व्यवहारों को नियंत्रित करती है। समाज के नियम, कानून, और मान्यताएँ व्यक्ति के कार्यों पर एक नियंत्रण स्थापित करती हैं, ताकि समाज में सद्भाव बना रहे। उदाहरण के तौर पर, न्यायिक प्रणाली समाज के अंदर किसी भी प्रकार की असहमति या अपराध को रोकने के लिए काम करती है।
निष्कर्ष:
समाज एक जटिल और गतिशील संरचना है, जिसमें विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक पहलू आपस में जुड़े होते हैं। समाज के सदस्य आपसी सहयोग, संस्कारों, और मूल्यों के आधार पर एक साथ रहते हैं और अपनी ज़िंदगी को साझा करते हैं। समाज के अस्तित्व और विकास के लिए सामूहिकता, सहयोग, सामाजिक संबंध, और संस्थाएँ बेहद महत्वपूर्ण हैं। समाज के बिना मानव जीवन अधूरा होता है क्योंकि यह न केवल व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि उसे एक पहचान, दिशा, और उद्देश्य भी प्रदान करता है। समाज के विकास और बदलाव के साथ यह भी विकसित होता है, जो इसे अधिक समावेशी, विविध और सहकारी बनाता है।
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