गांधी दर्शन में संरचनात्मक कार्य क्रम की भूमिका
महात्मा गांधी का दर्शन केवल विचारों और सिद्धांतों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसे समाज में व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए संरचनात्मक कार्यों की आवश्यकता पर बल दिया गया। गांधी जी का मानना था कि समाज में स्थायी परिवर्तन लाने के लिए रचनात्मक कार्यों और सकारात्मक प्रयासों की योजना और क्रियान्वयन आवश्यक है। उनके अनुसार, संरचनात्मक कार्य समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाने और शांति व समानता की स्थापना के लिए आवश्यक हैं।
1. संरचनात्मक कार्य का अर्थ
गांधी जी के लिए संरचनात्मक कार्य का तात्पर्य उन गतिविधियों से था, जो समाज की नींव को मजबूत करने और सामाजिक समस्याओं को हल करने में सहायक हों। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, ग्रामोद्योग, और सामाजिक सुधार के क्षेत्र शामिल थे।
2. संरचनात्मक कार्य की भूमिका
(क) स्वराज की प्राप्ति
गांधी जी का मानना था कि स्वराज केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि इसका अर्थ सामाजिक, आर्थिक, और नैतिक स्वतंत्रता भी है।
- ग्राम स्वराज: उन्होंने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुटीर उद्योग, खादी, और स्थानीय संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा दिया।
- सामुदायिक विकास: संरचनात्मक कार्यों के माध्यम से गांवों में शिक्षा, स्वच्छता, और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया।
(ख) सामाजिक समानता की स्थापना
गांधी जी ने अस्पृश्यता उन्मूलन, जातिवाद के विरोध, और महिला सशक्तिकरण के लिए संरचनात्मक कार्यों को महत्वपूर्ण माना।
- अस्पृश्यता निवारण: उन्होंने हरिजन आंदोलन के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसर देकर समाज में उनकी भूमिका को बढ़ावा दिया।
(ग) आर्थिक सशक्तिकरण
संरचनात्मक कार्यों का एक उद्देश्य समाज के आर्थिक ढांचे को सुधारना था।
- कुटीर उद्योग और स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से उन्होंने लोगों को आत्मनिर्भर बनने का मार्ग दिखाया।
- गरीबी उन्मूलन: उन्होंने सादा जीवन और संसाधनों के समान वितरण पर जोर दिया।
(घ) शिक्षा और नैतिकता का प्रसार
गांधी जी ने शिक्षा को संरचनात्मक कार्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना।
- नई तालीम: उन्होंने एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का प्रस्ताव दिया, जो ज्ञान के साथ-साथ नैतिकता और व्यावहारिक कौशल भी प्रदान करे।
3. आज के संदर्भ में प्रासंगिकता
आज भी गांधी जी के संरचनात्मक कार्यों का दृष्टिकोण सामाजिक और आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए प्रासंगिक है।
- पर्यावरण संरक्षण, गरीबी उन्मूलन, और सामुदायिक विकास के लिए गांधीवादी संरचनात्मक कार्य एक मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करते हैं।
- स्थानीय संसाधनों का उपयोग, सहकारी आंदोलन, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर गांधी जी के विचार आज भी महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष
गांधी दर्शन में संरचनात्मक कार्य केवल परिवर्तन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के नैतिक और भौतिक उत्थान का आधार थे। उनका मानना था कि समाज में शांति, समानता, और स्वावलंबन लाने के लिए सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों की भूमिका अनिवार्य है। आज के समय में, गांधी जी के संरचनात्मक कार्यों की अवधारणा एक स्थायी और समतामूलक समाज की स्थापना में मार्गदर्शक बन सकती है।
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