शिक्षा और संस्कृति के बीच सम्बन्ध
शिक्षा और संस्कृति के बीच गहरा और आपसी संबंध है। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षा संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और संस्कृति को समाज में बनाए रखने और विकसित करने के लिए शिक्षा आवश्यक है।
1. संस्कृति का शिक्षण: संस्कृति समाज के साझा विश्वासों, मूल्यों, रीति-रिवाजों, भाषाओं, कला, साहित्य और अन्य जीवन शैली के पहलुओं का समूह होती है। शिक्षा का कार्य संस्कृति के इन पहलुओं को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना है। बच्चों को उनके इतिहास, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर से अवगत कराना शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है। उदाहरण स्वरूप, स्कूलों में साहित्य, संगीत, कला और धर्म के पाठ्यक्रम संस्कृति के प्रसार के माध्यम बनते हैं।
2. शिक्षा द्वारा संस्कृति में बदलाव: शिक्षा केवल संस्कृति को सहेजने का कार्य नहीं करती, बल्कि इसे नया रूप भी देती है। जब व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करता है, तो वह अपने दृष्टिकोण, विचार और विश्वासों में बदलाव ला सकता है। इससे संस्कृति में नवीनता और सुधार आता है। शिक्षा समाज के लोगों को नए विचारों, तकनीकी विकास और सामाजिक सुधार के बारे में जागरूक करती है, जिससे संस्कृति में विकास होता है।
3. संस्कृति की शिक्षा पर प्रभाव: संस्कृति, समाज के लोगों की सोच, व्यवहार और जीवन शैली को प्रभावित करती है। समाज की सांस्कृतिक संरचनाओं, जैसे परिवार, धर्म, और भाषा, का असर शिक्षा प्रणाली पर भी पड़ता है। उदाहरण स्वरूप, एक समाज की भाषा या धार्मिक आस्थाएँ बच्चों के शिक्षा के तरीके और पाठ्यक्रम पर प्रभाव डालती हैं।
इस प्रकार, शिक्षा और संस्कृति का आपसी संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि शिक्षा संस्कृति को सहेजती है और संस्कृति शिक्षा को परिभाषित करती है। दोनों मिलकर समाज के विकास में योगदान करते हैं।
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