बालक की शिक्षा में परिवार की आवश्यकता की व्याख्या
बालक के संपूर्ण विकास में परिवार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। शिक्षा केवल विद्यालय में प्राप्त की जाने वाली प्रक्रिया तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह बालक के जीवन के प्रारंभिक वर्षों से ही परिवार के वातावरण में प्रारंभ हो जाती है। परिवार बच्चे का पहला विद्यालय होता है और माता-पिता पहले शिक्षक।
परिवार बालक के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, और भावनात्मक विकास की आधारशिला रखता है। परिवार के वातावरण में बच्चा सबसे पहले भाषा, व्यवहार, नैतिकता, और सामाजिक मानदंडों को सीखता है। माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों का व्यवहार और दृष्टिकोण बच्चे के व्यक्तित्व और दृष्टिकोण पर गहरा प्रभाव डालता है।
- प्राथमिक सामाजिक कौशल: परिवार में बच्चा संवाद करना, सुनना, और सामाजिक संबंध बनाना सीखता है। यह कौशल आगे चलकर विद्यालय में और सामाजिक जीवन में मददगार साबित होता है।
- नैतिक और सांस्कृतिक शिक्षा: परिवार के सदस्य बच्चे को नैतिक मूल्य, अनुशासन, और समाज के सांस्कृतिक पहलुओं से परिचित कराते हैं। परिवार से प्राप्त मूल्य और नैतिकता बच्चे को एक अच्छे नागरिक के रूप में विकसित करने में सहायता करते हैं।
- समर्थन और प्रोत्साहन: परिवार का सकारात्मक और सहायक वातावरण बच्चे को आत्मविश्वास और सुरक्षित महसूस करने में मदद करता है। यह प्रोत्साहन और भावनात्मक समर्थन बच्चे को नई चीजें सीखने और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देता है।
- आदतों और व्यवहार का विकास: बच्चे के दैनिक जीवन की आदतें जैसे समय पर सोना, पढ़ाई करना, और अन्य जिम्मेदारियों का निर्वाह परिवार के अनुशासन से ही सीखा जाता है।
संक्षेप में, परिवार बालक की प्रारंभिक शिक्षा का मूलभूत स्तंभ है और यह उसकी सीखने की प्रक्रिया में एक स्थायी और अनिवार्य भूमिका निभाता है। परिवार से मिलने वाली सुरक्षा, प्रेम, और नैतिक दिशा निर्देश बच्चे को जीवन में सफलता की ओर अग्रसर करते हैं।
Subscribe on YouTube - NotesWorld
For PDF copy of Solved Assignment
Any University Assignment Solution