आधार स्तर नियोजन में सामाजिक न्याय उपागम का उपयोग समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए किया जाता है। इस उपागम का उद्देश्य है कि समाज के सभी वर्गों, विशेषकर पिछड़े, आर्थिक रूप से कमजोर, और सामाजिक दृष्टि से हाशिए पर स्थित समुदायों को विकास की प्रक्रिया में समान रूप से भागीदारी मिले।
1. संसाधनों का समान वितरण
आधार स्तर पर नियोजन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विकास के संसाधन समाज के सभी वर्गों में समान रूप से वितरित हों। सामाजिक न्याय उपागम के अंतर्गत गरीब और पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता दी जाती है ताकि वे भी मुख्य धारा में शामिल हो सकें। इसके माध्यम से असमानता को कम किया जाता है और समाज में संतुलन स्थापित किया जाता है।
2. अवसरों की समानता
सामाजिक न्याय उपागम के तहत, सभी लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आर्थिक अवसरों तक पहुँच प्रदान की जाती है। यह उपागम आधार स्तर पर नियोजन के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन, शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार सुनिश्चित करता है। इससे वंचित वर्गों को अपने जीवन स्तर को सुधारने का अवसर मिलता है और समाज में उनकी समान भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
3. सामाजिक एकता और समरसता का निर्माण
जब समाज के हर वर्ग को न्यायपूर्ण तरीके से विकास की प्रक्रिया में शामिल किया जाता है, तो इससे सामाजिक एकता और समरसता को बल मिलता है। आधार स्तर पर नियोजन के माध्यम से सामुदायिक विकास, महिला सशक्तिकरण, और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास होता है, जिससे समाज में समरसता और आपसी सहयोग का वातावरण बनता है।
निष्कर्ष
आधार स्तर नियोजन का सामाजिक न्याय उपागम एक समावेशी विकास मॉडल है, जो सामाजिक असमानताओं को कम करता है और समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाने का कार्य करता है। इसके माध्यम से समाज में न्याय, समानता, और समरसता की भावना का विकास होता है, जो दीर्घकालिक सामाजिक स्थिरता और समृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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