संचार प्रारूप से तात्पर्य उन तरीकों और माध्यमों से है जिनके द्वारा जानकारी, विचार, और संदेश व्यक्त किए जाते हैं। संचार प्रारूप किसी भी प्रकार की जानकारी के आदान-प्रदान के तरीके को निर्धारित करते हैं। यह लिखित, मौखिक, दृश्य, या अन्य किसी रूप में हो सकता है। संचार प्रारूप का चुनाव संदर्भ, उद्देश्य, और संप्रेषण की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। उचित प्रारूप का चयन संचार की प्रभावशीलता को बढ़ाता है, क्योंकि यह संदेश को स्पष्ट और समझने में आसान बनाता है।
संचार के विभिन्न प्रारूप होते हैं, जैसे कि मौखिक संचार, लिखित संचार, दृश्य संचार, डिजिटल संचार आदि। प्रत्येक प्रारूप का उद्देश्य और उपयोग परिस्थिति के अनुसार भिन्न हो सकता है। अब हम संचार के दो प्रमुख प्रारूपों पर विस्तार से चर्चा करेंगे:
1. लिखित संचार प्रारूप
लिखित संचार प्रारूप वह तरीका है जिसमें संदेश, विचार, या जानकारी शब्दों के माध्यम से लिखित रूप में व्यक्त की जाती है। यह संचार का सबसे पारंपरिक और व्यापक रूप है, जिसे व्यक्तिगत, व्यावसायिक, और औपचारिक संदर्भों में उपयोग किया जाता है। इसमें पत्र, ईमेल, रिपोर्ट, नोट्स, memos, पुस्तकें, और अन्य लिखित दस्तावेज़ शामिल होते हैं।
लिखित संचार प्रारूप की विशेषताएँ:
- स्थायिता (Permanence): लिखित संचार स्थायी होता है, जो बाद में संदर्भ के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसके द्वारा दी गई जानकारी को आसानी से सहेजा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर फिर से पढ़ा जा सकता है।
- स्पष्टता (Clarity): लिखित रूप में जानकारी देने में विचारों को स्पष्ट रूप से और संक्षेप में प्रस्तुत किया जा सकता है। यह जटिल विचारों को समझाने के लिए उपयुक्त होता है।
- औपचारिकता (Formality): अधिकांश लिखित संचार औपचारिक होते हैं, जैसे कि सरकारी पत्राचार, रिपोर्ट, आदि। ये संदेशों को पेशेवर और सुसंगत तरीके से प्रस्तुत करने में मदद करते हैं।
- विचार की गहराई (Depth of Thought): लिखित संचार में व्यक्ति अपने विचारों को विस्तार से और गहराई से व्यक्त कर सकता है, क्योंकि इसमें समय होता है। यह विचारों की स्पष्टता और सटीकता को सुनिश्चित करता है।
उदाहरण:
- पत्राचार (Letters): औपचारिक पत्र जैसे व्यापार पत्र, आधिकारिक पत्र, और आवेदन पत्र लिखने में उपयोग किए जाते हैं।
- ईमेल (Email): ईमेल अब एक सामान्य तरीका बन गया है, जिसे व्यक्तिगत, औपचारिक, और व्यावसायिक संचार के लिए उपयोग किया जाता है।
- रिपोर्ट (Reports): एक लिखित दस्तावेज़ जिसमें किसी विशिष्ट विषय या मुद्दे पर विश्लेषण, निष्कर्ष, और सिफारिशें दी जाती हैं।
लिखित संचार के लाभ:
- यह सुसंगत और स्थिर होता है, जिससे गलतफहमियाँ कम होती हैं।
- यह लंबे समय तक सहेजा जा सकता है और भविष्य में संदर्भ के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
लिखित संचार के नुकसान:
- समय लेने वाला हो सकता है, खासकर जब जल्दी जवाब की आवश्यकता होती है।
- इसका आदान-प्रदान धीमा होता है और किसी तत्काल प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं की जा सकती।
2. मौखिक संचार प्रारूप
मौखिक संचार प्रारूप वह तरीका है जिसमें संदेश या विचार सीधे बोले जाते हैं। इसमें वार्तालाप, भाषण, मीटिंग, टेलीफोन कॉल, वीडियो कॉल, और अन्य आवाज़ आधारित संचार विधियाँ शामिल हैं। मौखिक संचार व्यक्तिगत, व्यावसायिक, और सामाजिक संदर्भों में प्रभावी रूप से उपयोग किया जाता है।
मौखिक संचार प्रारूप की विशेषताएँ:
- त्वरित प्रतिक्रिया (Immediate Feedback): मौखिक संचार में एक विशेष लाभ यह है कि इसमें त्वरित प्रतिक्रिया मिलती है। जब एक व्यक्ति कुछ बोलता है, तो श्रोता तुरंत प्रतिक्रिया दे सकता है, जिससे संचार का प्रभावी रूप से आदान-प्रदान होता है।
- स्पष्टता और संप्रेषण में सुविधा (Clarity and Ease of Conveyance): मौखिक संचार में शब्दों के अलावा आवाज़, इन्फ्लेक्शन, और शरीर की भाषा का भी उपयोग किया जाता है, जिससे संदेश को और स्पष्ट बनाया जा सकता है। यह संदेश को और अधिक प्रभावी बनाता है।
- निजी संबंध (Personal Connection): मौखिक संचार में व्यक्तिगत संबंध और संवाद की अधिकता होती है, जिससे संचार में पारदर्शिता और समझ बेहतर होती है। यह संदेश में अधिक भावना और प्रभाव जोड़ता है।
- लचीलापन (Flexibility): मौखिक संचार के दौरान व्यक्ति अपना संदेश इस प्रकार बदल सकता है कि वह श्रोता की प्रतिक्रियाओं के आधार पर अधिक उपयुक्त हो जाए।
उदाहरण:
- वार्तालाप (Conversations): दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच बातचीत का सामान्य रूप।
- भाषण (Speeches): किसी बड़े समूह या दर्शकों के सामने विचारों, दृष्टिकोणों या जानकारी का प्रभावी रूप से प्रस्तुत करना।
- मीटिंग्स (Meetings): कार्यस्थल या अन्य औपचारिक स्थानों पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित किए गए संवाद।
मौखिक संचार के लाभ:
- इसमें त्वरित प्रतिक्रिया और निर्णय लिया जा सकता है, जिससे कार्यों में तेजी आती है।
- यह अनौपचारिक और अधिक व्यक्तिगत होता है, जिससे रिश्तों में भी मजबूती आती है।
मौखिक संचार के नुकसान:
- इसका कोई स्थायी रिकॉर्ड नहीं होता, जिससे संदेशों को बाद में संदर्भित करना कठिन हो सकता है।
- कभी-कभी यह सटीकता की कमी और गलतफहमियों का कारण बन सकता है, खासकर जब संवेदनशील विषयों पर चर्चा की जा रही हो।
निष्कर्ष
संचार प्रारूप किसी भी संचार प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और इनका चयन विषय, स्थिति, उद्देश्य, और दर्शकों के आधार पर किया जाता है। लिखित संचार प्रारूप स्थायिता और स्पष्टता प्रदान करता है, जबकि मौखिक संचार प्रारूप त्वरित प्रतिक्रिया और व्यक्तिगत संपर्क में मदद करता है। दोनों प्रकार के संचार प्रारूपों के अपने फायदे और नुकसान होते हैं, और इनका सही उपयोग संचार के उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूरा करने में सहायक होता है।
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