Type Here to Get Search Results !

Hollywood Movies

Solved Assignment PDF

Buy NIOS Solved Assignment 2025!

आप सूचना स्रोतों से क्या समझते हैं? सूचना के प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्रोतों की क्या चर्चा करें।

 सूचना स्रोत: परिचय और श्रेणियाँ

सूचना स्रोत वे सभी श्रोत होते हैं जिनसे व्यक्ति जानकारी प्राप्त करता है। सूचना स्रोतों में विभिन्न प्रकार की सामग्री और माध्यम आते हैं, जैसे कि पुस्तकें, पत्रिकाएँ, रिपोर्ट्स, डिजिटल संसाधन, इंटरनेट, ऑडियो-वीडियो सामग्री आदि। सूचना का संकलन, प्रसार और विश्लेषण विभिन्न स्रोतों के माध्यम से होता है। इन स्रोतों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है: प्राथमिक स्रोत (Primary Sources), माध्यमिक स्रोत (Secondary Sources) और तृतीयक स्रोत (Tertiary Sources)। हर श्रेणी का अपना विशिष्ट महत्व और उपयोग है। आइए, इन स्रोतों की चर्चा विस्तार से करें।

1. प्राथमिक स्रोत (Primary Sources):

प्राथमिक स्रोत वे स्रोत होते हैं जो सीधे-सीधे घटनाओं या तथ्यों से संबंधित होते हैं। यह स्रोत किसी शोध या अध्ययन का पहला और मूल स्रोत होते हैं। इन स्रोतों में जानकारी किसी व्यक्ति, स्थान, घटना या समय से सीधे जुड़ी होती है, और इसमें कोई संशोधन या मध्यस्थता नहीं की जाती।

उदाहरण:

  • मूल दस्तावेज़ (Original Documents): जैसे कि शासकीय आदेश, संविदाएँ, संविधान, समझौते, कानूनी दस्तावेज़, साक्षात्कार आदि।
  • साक्षात्कार (Interviews): किसी व्यक्ति से ली गई जानकारी या विचार सीधे संवाद से प्राप्त होती है।
  • प्राकृतिक डेटा: जैसे मौसम डेटा, गणनाएँ, सांख्यिकीय आंकड़े।
  • साहित्यिक कृतियाँ: लेखक की मूल कृति जैसे उपन्यास, कविता, निबंध आदि।
  • ऐतिहासिक घटनाएँ: युद्ध के रिकॉर्ड, पुरानी रचनाएँ, डायरी और पत्र आदि।
  • चित्र और वीडियो: जो किसी घटना, स्थान या व्यक्ति को सीधे रिकॉर्ड करते हैं, जैसे वृत्तचित्र या समाचार रिपोर्ट।
  • विज्ञान और शोध पत्र: जिनमें प्रयोग, सर्वेक्षण, परीक्षण आदि का सीधा डेटा होता है।

प्राथमिक स्रोत से प्राप्त जानकारी सबसे प्रमाणिक और विश्वसनीय मानी जाती है, क्योंकि यह किसी घटना या विषय से सीधे जुड़ी होती है और इसमें बाहरी हस्तक्षेप या किसी अन्य व्यक्ति का विचार नहीं होता।

2. माध्यमिक स्रोत (Secondary Sources):

माध्यमिक स्रोत वे स्रोत होते हैं जो प्राथमिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित होते हैं। इन स्रोतों में किसी घटना, तथ्य या शोध का विश्लेषण, पुनःव्याख्या या समीक्षा की जाती है। माध्यमिक स्रोतों का उद्देश्य जानकारी का संकलन और उसकी व्याख्या करना होता है, न कि नए तथ्यों को प्रस्तुत करना।

उदाहरण:

  • पुस्तकें और लेख: जो किसी घटना या विषय पर पहले से उपलब्ध जानकारी का संकलन और विश्लेषण करती हैं।
  • शोध पत्र (Research Papers): जिनमें किसी विशिष्ट विषय पर मौजूदा जानकारी और आंकड़ों का सारांश प्रस्तुत किया जाता है।
  • समीक्षाएँ (Reviews): किताबों, फिल्मों, शोध कार्यों, कला आदि पर की गई समीक्षाएँ।
  • इतिहासकारों द्वारा लिखी गई कृतियाँ: जो किसी ऐतिहासिक घटना का विश्लेषण करती हैं, जैसे इतिहास की किताबें या आलोचनात्मक अध्ययन।
  • निबंध और विश्लेषणात्मक लेख: जो किसी विशेष मुद्दे या घटना पर विचार करते हैं और प्राथमिक स्रोतों के आधार पर निष्कर्ष निकालते हैं।

माध्यमिक स्रोतों में जानकारी का सत्यापन पहले से मौजूद स्रोतों से किया जाता है, जिससे यह अधिक विस्तृत और विस्तृत होती है। हालांकि, इन स्रोतों में विश्लेषण और व्यक्तिपरक दृष्टिकोण शामिल हो सकते हैं, इसलिए इनकी प्रमाणिकता में प्राथमिक स्रोतों के मुकाबले कुछ हद तक कमी हो सकती है।

3. तृतीयक स्रोत (Tertiary Sources):

तृतीयक स्रोत वे स्रोत होते हैं जिनमें विभिन्न प्राथमिक और माध्यमिक स्रोतों का संकलन किया जाता है। ये स्रोत सामान्यतः संदर्भ (reference) के रूप में उपयोग किए जाते हैं और इनका उद्देश्य जानकारी को संक्षेप में प्रस्तुत करना और उसे शीघ्रता से उपलब्ध कराना होता है। इन स्रोतों का उपयोग मुख्य रूप से प्राथमिक और माध्यमिक स्रोतों तक पहुँचने के लिए मार्गदर्शन के रूप में किया जाता है।

उदाहरण:

  • विकिपीडिया (Wikipedia): यह एक उदाहरण है, जहां किसी विषय से संबंधित प्राथमिक और माध्यमिक स्रोतों का संकलन किया जाता है।
  • एटलस और गाइड: जैसे विश्व मानचित्र, ऐतिहासिक एटलस आदि।
  • डायरेक्ट्री और सूचियाँ: जैसे पुस्तकालय की सूची, ऑडियो-वीडियो संग्रह, विशेषज्ञों की सूची।
  • सूचना संकलन पुस्तकें: जैसे गूगल और अन्य डेटा बेस जो शोधकर्ताओं को जानकारी एकत्रित करने में मदद करती हैं।
  • सूचनात्मक पुस्तिकाएँ और गाइड: जो किसी विशिष्ट विषय के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत करती हैं, जैसे डिक्शनरी, थिसॉरस आदि।

तृतीयक स्रोतों का उपयोग सामान्य रूप से डेटा के संग्रहण, त्वरित संदर्भ और अन्य स्रोतों को ढूंढने के लिए किया जाता है। इन स्रोतों में सामग्री को संक्षिप्त, व्यवस्थित और सरल तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, जिससे उपयोगकर्ता जल्दी से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सूचना स्रोतों के महत्व और उपयोग:

1. प्राथमिक स्रोत:

  • विश्वसनीयता: क्योंकि ये स्रोत सीधे घटना से संबंधित होते हैं, इनकी जानकारी की विश्वसनीयता अधिक होती है।
  • अद्वितीयता: इन स्रोतों में नए और अद्वितीय तथ्यों का पता चलता है, जो अन्य स्रोतों में नहीं होते।

2. माध्यमिक स्रोत:

  • विश्लेषण और समीक्षा: ये स्रोत मूल घटनाओं और तथ्यों का विश्लेषण और पुनरावलोकन करते हैं, जो शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होते हैं।
  • समग्र दृष्टिकोण: माध्यमिक स्रोत एक विषय पर विस्तृत और समग्र दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जिससे किसी मुद्दे या विषय की गहरी समझ बनती है।

3. तृतीयक स्रोत:

  • सारांश और संग्रह: ये स्रोत जानकारी के त्वरित संदर्भ के लिए आदर्श होते हैं और किसी भी विषय के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान करते हैं।
  • मार्गदर्शन: ये अन्य स्रोतों तक पहुँचने के लिए मार्गदर्शन का काम करते हैं, जिससे उपयोगकर्ता आसानी से अधिक गहरे और विशिष्ट स्रोतों तक पहुँच सकते हैं।

निष्कर्ष:

सूचना स्रोतों का वर्गीकरण प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक श्रेणियों में किया जाता है, और हर श्रेणी का अपना विशेष महत्व और उपयोग है। प्राथमिक स्रोत सीधे घटनाओं से संबंधित होते हैं, माध्यमिक स्रोत प्राथमिक स्रोतों की व्याख्या करते हैं, जबकि तृतीयक स्रोत विभिन्न स्रोतों का संकलन करते हैं और जानकारी का त्वरित संदर्भ प्रदान करते हैं। सही समय पर, सही स्रोत का उपयोग करना शोध और अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सूचनाओं की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और प्रासंगिकता सुनिश्चित होती है।

Subscribe on YouTube - NotesWorld

For PDF copy of Solved Assignment

Any University Assignment Solution

WhatsApp - 9113311883 (Paid)

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Technology

close