अधिगम से आप क्या समझते हैं?
अधिगम (Learning) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने अनुभवों, विचारों, और प्रशिक्षण के माध्यम से नए ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण, और समझ विकसित करता है। यह एक मानसिक प्रक्रिया है, जिसके दौरान व्यक्ति अपने आस-पास की जानकारी को प्राप्त करता है, उसे समझता है और उसे अपने जीवन में उपयोग करने की क्षमता प्राप्त करता है। अधिगम का उद्देश्य केवल जानकारी प्राप्त करना नहीं है, बल्कि उस जानकारी का सही तरीके से उपयोग करना भी है। यह प्रक्रिया जीवनभर चलने वाली होती है और इसके द्वारा व्यक्ति अपनी क्षमताओं और समझ में निरंतर वृद्धि करता है।
अधिगम के विभिन्न रूप होते हैं, जैसे कि शैक्षिक अधिगम, सामाजिक अधिगम, और शारीरिक अधिगम। यह प्रक्रिया व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से भी हो सकती है और औपचारिक शिक्षा या प्रशिक्षण के द्वारा भी। आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार, अधिगम केवल ज्ञान प्राप्त करने तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह ज्ञान को व्यवहार में लाने, नई स्थितियों में प्रयोग करने और सामाजिक संदर्भ में उसे समझने का भी हिस्सा है।
अधिगम के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांतों में शामिल हैं:
- कॉग्निटिव लर्निंग (Cognitive Learning): इस प्रकार के अधिगम में व्यक्ति सोचने, समझने और विश्लेषण करने की प्रक्रिया के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है।
- कंडिशनिंग (Conditioning): इसमें व्यक्ति की आदतें और प्रतिक्रियाएँ बाहरी घटनाओं और उत्तेजनाओं के प्रभाव से विकसित होती हैं।
- सामाजिक अधिगम (Social Learning): इसमें व्यक्ति दूसरों के व्यवहार को देखता है और उसे अपनाता है।
- प्रायोगिक अधिगम (Experiential Learning): इस प्रकार के अधिगम में व्यक्ति अपने अनुभवों के माध्यम से नया ज्ञान प्राप्त करता है।
प्रदर्शती एवं खोज द्वारा अधिगम के मध्य अंतर
अधिगम की प्रक्रिया को समझने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम विभिन्न प्रकार के अधिगम सिद्धांतों और शैलियों को पहचानें। दो प्रमुख अधिगम शैलियाँ हैं - प्रदर्शती अधिगम (Learning by Imitation) और खोज द्वारा अधिगम (Learning by Discovery)। ये दोनों अधिगम की प्रक्रियाएँ विभिन्न दृष्टिकोणों से ज्ञान प्राप्त करने के तरीके हैं। इन दोनों के मध्य कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं, जिन्हें हम विस्तार से समझ सकते हैं।
1. प्रदर्शती अधिगम (Learning by Imitation)
प्रदर्शती अधिगम उस प्रक्रिया को कहा जाता है जिसमें व्यक्ति दूसरों के व्यवहार को देखकर और उसका अनुकरण करके ज्ञान प्राप्त करता है। यह एक प्रकार का अनुकरण (Imitation) होता है, जिसमें व्यक्ति किसी अन्य के कार्यों को देखकर या सुनकर उन कार्यों को अपनाता है। यह अधिगम का एक सरल और स्वाभाविक तरीका है, जो बच्चों में स्वाभाविक रूप से देखा जाता है। छोटे बच्चे अक्सर अपने माता-पिता, शिक्षकों या अन्य बच्चों को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं, जैसे बोलना, चलना, खिलौनों से खेलना, इत्यादि।
प्रदर्शती अधिगम के मुख्य बिंदु:
- यह बाहरी व्यवहार को देखकर सीखा जाता है।
- इसमें किसी के द्वारा किए गए कार्यों या गतिविधियों की नकल की जाती है।
- यह सिखाने की प्रक्रिया में शिक्षक या मार्गदर्शक का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- यह सरल और समय पर निर्भर प्रक्रिया होती है, क्योंकि इसमें केवल देखना और नकल करना होता है।
- उदाहरण: एक शिक्षक जो छात्रों को गणना का तरीका दिखाता है और छात्र उसे देख कर वही तरीका अपनाते हैं।
2. खोज द्वारा अधिगम (Learning by Discovery)
खोज द्वारा अधिगम एक सक्रिय और अधिक जटिल प्रक्रिया होती है, जिसमें व्यक्ति नए ज्ञान या समाधान को स्वयं खोजता है। इस प्रकार के अधिगम में व्यक्ति समस्याओं का समाधान अपनी ओर से तलाशता है, न कि दूसरों से सीखे गए तरीकों का अनुसरण करता है। खोज द्वारा अधिगम में व्यक्ति अपने अनुभव, परीक्षण और त्रुटि (trial and error) के माध्यम से नया ज्ञान प्राप्त करता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को अधिक सक्रिय रूप से शामिल करने वाली होती है और इसमें व्यक्तिगत सोच और चिंतन की भूमिका अहम होती है।
खोज द्वारा अधिगम के मुख्य बिंदु:
- इसमें व्यक्ति को नई जानकारी प्राप्त करने के लिए सक्रिय रूप से समस्याओं का समाधान करना होता है।
- यह आत्म-निर्भरता और आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking) को प्रोत्साहित करता है।
- व्यक्ति खुद से प्रश्न पूछता है और विभिन्न संभावनाओं के आधार पर उत्तर खोजता है।
- यह अधिगम अधिक स्थायी और गहरा होता है, क्योंकि इसमें व्यक्ति ने खुद से जानकारी प्राप्त की होती है।
- उदाहरण: एक विज्ञान प्रयोग, जिसमें छात्र किसी विशेष समस्या का हल खोजने के लिए प्रयोग करते हैं और प्रयोग के परिणामों से निष्कर्ष निकालते हैं।
प्रदर्शती और खोज द्वारा अधिगम में अंतर
1. प्रक्रिया का प्रकार: प्रदर्शती अधिगम में व्यक्ति केवल दूसरों का अनुकरण करता है, जबकि खोज द्वारा अधिगम में व्यक्ति खुद नए ज्ञान की खोज करता है।
2. ज्ञान का स्रोत: प्रदर्शती अधिगम में ज्ञान बाहरी रूप से (शिक्षक, माता-पिता, अन्य) मिलता है, जबकि खोज द्वारा अधिगम में ज्ञान आंतरिक रूप से उत्पन्न होता है, जो व्यक्ति के स्वयं के प्रयासों से आता है।
3. सक्रियता: प्रदर्शती अधिगम एक पासिव (Passive) प्रक्रिया होती है, जबकि खोज द्वारा अधिगम एक सक्रिय (Active) प्रक्रिया होती है, जिसमें व्यक्ति को खुद काम करना और सवालों के उत्तर खोजने होते हैं।
4. समस्या समाधान की प्रकृति: प्रदर्शती अधिगम में व्यक्ति किसी स्थापित समाधान को अपनाता है, जबकि खोज द्वारा अधिगम में व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं ढूंढता है।
5. सीखने का तरीका: प्रदर्शती अधिगम में व्यक्ति केवल देखकर या सुनकर सीखता है, जबकि खोज द्वारा अधिगम में व्यक्ति विभिन्न तकनीकों और अनुभवों के माध्यम से सीखता है।
6. प्रेरणा और भागीदारी: खोज द्वारा अधिगम में व्यक्ति ज्यादा प्रेरित और भागीदार होता है, क्योंकि उसे अपने ज्ञान और सोच को विकसित करने का मौका मिलता है। जबकि प्रदर्शती अधिगम में व्यक्ति अधिकतर दूसरों द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलता है।
निष्कर्ष:
दोनों अधिगम शैलियाँ - प्रदर्शती और खोज - शिक्षा और विकास के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। प्रदर्शती अधिगम आसान और तेज तरीका हो सकता है, जबकि खोज द्वारा अधिगम गहरे और स्थायी परिणाम प्रदान करता है, क्योंकि इसमें स्वयं की समझ और अन्वेषण की क्षमता शामिल होती है। दोनों शैलियाँ छात्रों की शैक्षिक यात्रा में आवश्यक हैं, और इनका संतुलित उपयोग शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है।
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