महिलाओं के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने और उन्हें समाज में समान अवसर और सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम और नीतियाँ लागू की हैं। इन सरकारी कार्यक्रमों का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना, उनके अधिकारों की रक्षा करना, और लैंगिक असमानता को दूर करना है। यह प्रयास सामाजिक, आर्थिक, और कानूनी स्तरों पर महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए किए गए हैं। इसमें, प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों और नीतियों पर चर्चा की जाएगी, जिनका उद्देश्य महिलाओं के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करना है।
1. महिला सशक्तिकरण के लिए संविधानिक और कानूनी अधिकार
1.1 संविधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान करता है:
- अनुच्छेद 14: संविधान सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार देता है, जिसमें महिलाएँ भी शामिल हैं।
- अनुच्छेद 15(1): यह अनुच्छेद राज्य को महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार के भेदभाव से रोकता है।
- अनुच्छेद 15(3): राज्य को विशेष कानून बनाने का अधिकार देता है, जिससे महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा की जा सके।
- अनुच्छेद 16: यह अनुच्छेद सरकारी सेवाओं में महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने की बात करता है।
- अनुच्छेद 39(a): यह महिलाओं के समान वेतन और काम के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
- अनुच्छेद 42: यह प्रावधान महिलाओं के लिए काम के सुरक्षित और मानव-योग्य परिस्थितियों के लिए राज्य को निर्देशित करता है।
1.2 महिला संबंधी कानून
भारत में महिलाओं के लिए कई कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं, जो उनके अधिकारों की रक्षा करते हैं:
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961: यह कानून महिलाओं के दहेज उत्पीड़न से सुरक्षा करता है।
- समान वेतन अधिनियम, 1976: इस कानून के तहत महिलाओं और पुरुषों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाता है।
- घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005: यह कानून महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्रदान करता है।
- यौन उत्पीड़न से सुरक्षा (POSH) अधिनियम, 2013: कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा देने के लिए यह कानून लागू किया गया।
- बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006: इस कानून के तहत बाल विवाह को गैरकानूनी घोषित किया गया।
2. सरकारी योजनाएँ और कार्यक्रम
2.1 बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP)
2015 में शुरू की गई यह योजना मुख्य रूप से बालिकाओं की शिक्षा और उनके संरक्षण पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य लिंगानुपात में सुधार करना और बालिकाओं को बेहतर अवसर प्रदान करना है। योजना के तहत सरकार ने लड़कियों की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण के लिए विशेष कदम उठाए हैं, ताकि वे सामाजिक और कानूनी रूप से सशक्त हो सकें।
2.2 मिशन शक्ति
मिशन शक्ति एक व्यापक पहल है, जिसे दो हिस्सों में विभाजित किया गया है: संबल (सुरक्षा और संरक्षण) और समर्थन (महिला सशक्तिकरण)। इसके तहत महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और महिलाओं को कानूनी, आर्थिक, और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए योजनाएँ बनाई गई हैं। इसमें महिला हेल्पलाइन, वन-स्टॉप सेंटर, और महिला सुरक्षा के लिए पुलिस बलों में सुधार जैसे कदम शामिल हैं।
2.3 महिला हेल्पलाइन (181)
यह हेल्पलाइन देशभर में महिलाओं को आपातकालीन सहायता और सलाह देने के लिए शुरू की गई है। इसका उद्देश्य महिलाओं को त्वरित सहायता प्रदान करना है, खासकर उन मामलों में जहाँ उन्हें कानूनी, सामाजिक, या मानसिक समर्थन की आवश्यकता होती है। यह सेवा घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, और अन्य कानूनी समस्याओं से जूझ रही महिलाओं को तुरंत सहायता प्रदान करती है।
2.4 वन-स्टॉप सेंटर योजना (OSC)
वन-स्टॉप सेंटर योजना 2015 में शुरू की गई, जिसका उद्देश्य महिलाओं को हिंसा और उत्पीड़न से तत्काल राहत और सहायता प्रदान करना है। ये केंद्र एक ही स्थान पर चिकित्सा सहायता, कानूनी परामर्श, पुलिस सहायता, मनोवैज्ञानिक परामर्श, और अस्थायी आश्रय प्रदान करते हैं। यह केंद्र यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, एसिड हमले, और तस्करी जैसी समस्याओं से पीड़ित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सहायता प्रणाली के रूप में काम करते हैं।
2.5 प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)
यह योजना गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इसके अंतर्गत, गर्भवती महिलाओं को तीन किस्तों में वित्तीय सहायता दी जाती है, ताकि उन्हें स्वस्थ गर्भधारण और प्रसव के लिए आवश्यक पोषण और स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त हो सकें। यह योजना महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकारों को सुनिश्चित करने और उनके सशक्तिकरण में एक महत्वपूर्ण कदम है।
2.6 स्वाधार गृह योजना
स्वाधार गृह योजना का उद्देश्य उन महिलाओं को आश्रय प्रदान करना है जो विभिन्न कारणों से अपने घरों से बाहर निकल गई हैं या जिन्हें सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता है। इस योजना के अंतर्गत, असहाय महिलाओं, निराश्रित विधवाओं, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं, और तस्करी के शिकार महिलाओं को आश्रय, भोजन, कपड़े, और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
3. कार्यस्थल पर महिलाओं के कानूनी अधिकारों की सुरक्षा
3.1 महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ
भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 को लागू किया गया, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को कार्यस्थल पर मातृत्व अवकाश और अन्य सुविधाएँ प्रदान करना है। 2017 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसमें मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया। इसके साथ ही, यह अधिनियम कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान और बाद में स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
3.2 यौन उत्पीड़न से सुरक्षा (POSH) अधिनियम, 2013
कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए POSH अधिनियम, 2013 लागू किया गया। यह अधिनियम महिलाओं को सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने का आश्वासन देता है। इसके तहत, सभी संस्थानों को यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण के लिए आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन करना अनिवार्य है। इसके साथ ही, यह अधिनियम यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों में त्वरित कार्रवाई और न्याय सुनिश्चित करता है।
4. महिलाओं के लिए वित्तीय और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम
4.1 प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY)
प्रधानमंत्री जन धन योजना का उद्देश्य महिलाओं को वित्तीय समावेशन में शामिल करना है। इसके अंतर्गत, महिलाओं के लिए बैंक खाते खोलने की सुविधा प्रदान की जाती है, जिससे वे वित्तीय सेवाओं का लाभ उठा सकें। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी गरीब महिलाओं को वित्तीय साक्षरता और स्वतंत्रता प्रदान करती है, जिससे वे अपने जीवन को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकें।
4.2 स्टैंड अप इंडिया योजना
स्टैंड अप इंडिया योजना का उद्देश्य महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में प्रोत्साहित करना है। इसके तहत, बैंक महिला उद्यमियों को अपने व्यवसाय शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना और उन्हें व्यापारिक गतिविधियों में शामिल करना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
निष्कर्ष
भारत सरकार ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने और उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विभिन्न योजनाएँ और नीतियाँ महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक स्वतंत्रता पर ध्यान केंद्रित करती हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को कानूनी रूप से सशक्त बनाना, उनके अधिकारों की रक्षा करना, और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है। सरकार के ये प्रयास महिलाओं को समाज में समान अवसर और सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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