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उदयमिता के किन्हीं दो सिद्धांतों की व्याख्या करें।

उदयमिता (Entrepreneurship) के विभिन्न सिद्धांत उन अवधारणाओं और विचारों पर आधारित हैं, जो यह समझने में मदद करते हैं कि उद्यमी किस प्रकार से नई योजनाओं और व्यापारिक उद्यमों का निर्माण करते हैं, जोखिम लेते हैं और नवाचार करते हैं। यहां उदयमिता के दो प्रमुख सिद्धांतों की विस्तृत व्याख्या दी गई है:

1. आर्थिक सिद्धांत (Economic Theory of Entrepreneurship)

आर्थिक सिद्धांत के अनुसार, उद्यमिता मुख्य रूप से आर्थिक विकास और समृद्धि को प्रोत्साहित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। इस सिद्धांत के अनुसार, उद्यमियों की भूमिका आर्थिक संसाधनों का सही और उत्पादक उपयोग करना है, जिससे उत्पादन, रोजगार और बाजार में बढ़ोतरी होती है। उद्यमिता को आर्थिक गतिविधियों के विकास का मुख्य इंजन माना जाता है। इसके प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

1.1 उद्यमी और नवाचार

आर्थिक सिद्धांत का एक प्रमुख पहलू यह है कि उद्यमी नवाचार का प्रेरक होता है। उद्यमी केवल संसाधनों का पुनर्वितरण नहीं करते हैं, बल्कि वे नए उत्पाद, सेवा या प्रक्रिया का सृजन करते हैं, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और गुणवत्ता में सुधार होता है। जोसेफ शुम्पीटर के "नवाचार सिद्धांत" के अनुसार, नवाचार वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से उद्यमी पुरानी पद्धतियों और उत्पादों को बदलकर नई तकनीकों, सेवाओं और उत्पादों की शुरुआत करते हैं।

1.2 जोखिम और अनिश्चितता

आर्थिक सिद्धांत में उद्यमियों को उन व्यक्तियों के रूप में चित्रित किया जाता है जो जोखिम और अनिश्चितता का सामना करते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि वे नए अवसरों की पहचान कर सकें और उनसे लाभ उठा सकें। उदाहरण के लिए, वे नई परियोजनाओं या उत्पादों को लॉन्च करते समय बाज़ार की अनिश्चितताओं का सामना करते हैं, जिसमें वित्तीय घाटे और बाजार की प्रतिक्रियाओं का जोखिम होता है। उद्यमी इस जोखिम को कम करने के लिए रणनीतिक योजनाएं और पूर्वानुमानित निर्णय लेते हैं।

1.3 मार्केट इफिशिएंसी (Market Efficiency)

आर्थिक सिद्धांत में यह माना जाता है कि उद्यमी बाजार में असमानताओं और कमियों की पहचान कर उन्हें दूर करते हैं। वे उत्पादकता में सुधार लाते हैं और नए व्यवसायिक मॉडल प्रस्तुत करते हैं, जिससे बाजार में संसाधनों का कुशलता से उपयोग हो। यह सिद्धांत बताता है कि जब उद्यमी नए बाजार या उत्पादों में निवेश करते हैं, तो वे बाजार को संतुलित करने का काम करते हैं। इसके फलस्वरूप, संसाधनों का अधिकतम उपयोग होता है और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है।

1.4 अर्थव्यवस्था में विकास

आर्थिक सिद्धांत यह भी समझाता है कि उद्यमिता राष्ट्रों की समृद्धि और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। उद्यमी नए उत्पाद और सेवाएं पेश करते हैं, जिससे नए रोजगार के अवसर सृजित होते हैं। साथ ही, उद्यमी आर्थिक उत्पादन को भी बढ़ाते हैं, जिससे देश की समृद्धि में वृद्धि होती है। इस प्रकार, उद्यमिता आर्थिक वृद्धि के प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती है।

2. मनोवैज्ञानिक सिद्धांत (Psychological Theory of Entrepreneurship)

मनोवैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार, उद्यमिता एक व्यक्ति की आंतरिक प्रेरणाओं, मानसिकता और मनोवैज्ञानिक गुणों पर आधारित होती है। इस सिद्धांत का मुख्य जोर उद्यमी के व्यक्तिगत गुणों और उनके मानसिक दृष्टिकोण पर होता है, जो उन्हें जोखिम लेने, निर्णय लेने और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। इस सिद्धांत के महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:

2.1 उच्च उपलब्धि प्रेरणा (Need for Achievement)

डेविड मैक्लेलैंड द्वारा विकसित यह अवधारणा बताती है कि कुछ व्यक्तियों में उच्च उपलब्धि की प्रेरणा होती है। ऐसे लोग चुनौतियों को स्वीकार करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा रखते हैं। उद्यमी भी इसी गुण से प्रेरित होते हैं। वे अपने व्यवसाय में उत्कृष्टता प्राप्त करने और नई चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा रखते हैं। यह उच्च उपलब्धि प्रेरणा उद्यमियों को उनकी उद्यमशील गतिविधियों में जोखिम लेने और नवाचार करने के लिए प्रेरित करती है।

2.2 जोखिम उठाने की प्रवृत्ति (Risk-Taking Propensity)

मनोवैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार, उद्यमी वे लोग होते हैं जो जोखिम उठाने की प्रवृत्ति रखते हैं। वे अनिश्चितताओं का सामना करते हुए अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए साहसिक निर्णय लेते हैं। यह प्रवृत्ति उन्हें उनके व्यवसाय में असफलता या वित्तीय जोखिम के बावजूद, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। उद्यमी जानते हैं कि सफलता के लिए जोखिम आवश्यक है, और वे इन जोखिमों को समझदारी से संभालने का प्रयास करते हैं।

2.3 आत्मनिर्भरता और नियंत्रण का केंद्र (Locus of Control)

यह सिद्धांत बताता है कि उद्यमियों में बाहरी कारकों की बजाय अपने व्यक्तिगत प्रयासों पर नियंत्रण रखने की प्रवृत्ति होती है। उद्यमियों को विश्वास होता है कि उनके व्यवसाय की सफलता या असफलता उनके स्वयं के हाथों में है। इस मानसिकता के कारण वे समस्याओं को हल करने के लिए स्वायत्त रूप से काम करते हैं और नई दिशा में काम करने के लिए तैयार रहते हैं। नियंत्रण का यह केंद्र उन्हें अधिक जिम्मेदारी और स्वतंत्रता प्रदान करता है।

2.4 रचनात्मकता और समस्या-समाधान (Creativity and Problem-Solving Ability)

मनोवैज्ञानिक सिद्धांत में यह कहा गया है कि उद्यमी रचनात्मक होते हैं और उन्हें समस्याओं का समाधान करने की क्षमता होती है। वे अपने व्यवसाय में आने वाली चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए नई विचारधाराओं का उपयोग करते हैं। यह रचनात्मकता और समस्या-समाधान की क्षमता उद्यमियों को उनके प्रतिस्पर्धियों से अलग करती है और उन्हें नवाचार के लिए प्रेरित करती है।

2.5 स्वतंत्रता की भावना (Need for Independence)

उद्यमिता में शामिल लोग आमतौर पर अपनी स्वतंत्रता को प्राथमिकता देते हैं। वे एक सामान्य कार्यबल में बंधे रहना पसंद नहीं करते और अपनी शर्तों पर काम करना चाहते हैं। यह स्वतंत्रता की भावना उन्हें नए उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित करती है, जहां वे अपने तरीके से निर्णय ले सकते हैं और व्यवसाय को अपनी दृष्टि के अनुसार विकसित कर सकते हैं।

उदयमिता के दोनों सिद्धांतों का महत्व

उदयमिता के आर्थिक और मनोवैज्ञानिक सिद्धांत दोनों ही यह समझने में मदद करते हैं कि एक उद्यमी कैसे कार्य करता है, कैसे निर्णय लेता है, और किस प्रकार से सामाजिक और आर्थिक संदर्भ में नवाचार करता है। जबकि आर्थिक सिद्धांत उद्यमी के योगदान को आर्थिक विकास और संसाधनों के सही उपयोग से जोड़ता है, मनोवैज्ञानिक सिद्धांत उनके मानसिक और व्यक्तिगत गुणों पर ध्यान केंद्रित करता है जो उन्हें जोखिम लेने, नवाचार करने और सफल उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करते हैं।

आर्थिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण का मिलाजुला अध्ययन उद्यमिता के विकास को और भी गहराई से समझने में मदद करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उद्यमिता न केवल आर्थिक गतिविधियों का परिणाम है, बल्कि यह एक व्यक्तिगत और मानसिक प्रक्रिया भी है, जो समाज और बाजार दोनों पर प्रभाव डालती है।

निष्कर्ष

उद्यमिता के आर्थिक और मनोवैज्ञानिक सिद्धांत दोनों ही उद्यमियों की सोच और कार्यप्रणाली को विभिन्न दृष्टिकोणों से समझने की कोशिश करते हैं। आर्थिक सिद्धांत उद्यमियों को आर्थिक संसाधनों के प्रबंधक और नवाचार के वाहक के रूप में देखता है, जबकि मनोवैज्ञानिक सिद्धांत उनकी आंतरिक प्रेरणाओं, जोखिम उठाने की क्षमता और रचनात्मकता पर जोर देता है। दोनों सिद्धांत मिलकर एक उद्यमी की पूरी प्रक्रिया और उसके प्रभावों को स्पष्ट रूप से समझाते हैं, और यह स्पष्ट करते हैं कि एक सफल उद्यमी बनने के लिए न केवल आर्थिक समझ जरूरी है, बल्कि मनोवैज्ञानिक स्थिरता और प्रेरणा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

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