अस्तित्ववादी शिक्षा के उद्देश्य
अस्तित्ववाद एक दार्शनिक दृष्टिकोण है जो व्यक्ति की स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय, और व्यक्तिगत अनुभव को महत्व देता है। अस्तित्ववादी शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता, आत्म-जागरूकता, और निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करना है। यह शिक्षा की पारंपरिक धारणाओं से अलग होती है, क्योंकि यह प्रत्येक छात्र को एक अनूठे और स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में देखती है।
अस्तित्ववादी शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
• व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विकास: अस्तित्ववादी शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य छात्रों में स्वतंत्रता की भावना को बढ़ावा देना है। इसमें छात्रों को अपनी पसंद, निर्णय, और जिम्मेदारियों का स्वयं चयन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। शिक्षक छात्रों के मार्गदर्शक होते हैं, लेकिन छात्रों को अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की अनुमति दी जाती है।
• आत्म-जागरूकता और आत्म-विकास: अस्तित्ववादी शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को आत्म-जागरूक बनाना है, ताकि वे अपने व्यक्तित्व, रुचियों, और इच्छाओं को समझ सकें। इसमें छात्रों को अपनी क्षमताओं, सीमाओं, और उद्देश्यों के प्रति जागरूक किया जाता है ताकि वे अपने जीवन के प्रति जिम्मेदार हो सकें।
• अर्थपूर्ण जीवन की खोज: अस्तित्ववाद मानता है कि जीवन का कोई पूर्व निर्धारित अर्थ नहीं होता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन का अर्थ खुद खोजना होता है। अस्तित्ववादी शिक्षा छात्रों को अपने जीवन में अर्थ और उद्देश्य खोजने के लिए प्रेरित करती है। इसमें छात्रों को अपने अनुभवों और निर्णयों के माध्यम से जीवन के गहरे अर्थ की खोज करने का अवसर मिलता है।
• नैतिकता और व्यक्तिगत जिम्मेदारी: अस्तित्ववादी शिक्षा छात्रों को नैतिकता और व्यक्तिगत जिम्मेदारी का महत्व समझाने पर जोर देती है। इसमें छात्रों को यह सिखाया जाता है कि उनकी स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी आती है। उन्हें अपने कार्यों और निर्णयों के परिणामों के प्रति जिम्मेदार होना सिखाया जाता है।
• व्यक्तिगत अनुभवों का महत्व: अस्तित्ववादी शिक्षा में छात्रों के व्यक्तिगत अनुभवों को महत्वपूर्ण माना जाता है। शिक्षक छात्रों के व्यक्तिगत अनुभवों को समझते हैं और उन्हें उनकी स्वयं की यात्रा के रूप में देखते हैं। शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को उनके व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से सीखने में सहायता करना है।
अस्तित्ववादी शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को स्वतंत्र, जागरूक, और जिम्मेदार नागरिक बनाना है, जो अपने जीवन का अर्थ स्वयं खोज सकें और अपने निर्णयों के प्रति जिम्मेदार हों।
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