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पाठ्यचर्या विकास में अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के विचार का क्या औचित्य है?

 पाठ्यचर्या विकास में अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध (International Understanding) का विचार अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शिक्षा को वैश्विक संदर्भ में स्थापित करता है। इस दृष्टिकोण के कई औचित्य हैं:

1. वैश्विक नागरिकता का विकास:

अंतर्राष्ट्रीय अवबोध विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनने के लिए प्रेरित करता है। यह उन्हें विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, और परंपराओं के प्रति संवेदनशील बनाता है। इससे विद्यार्थी न केवल अपने देश की पहचान को समझते हैं, बल्कि विश्व में अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को भी पहचानते हैं।

2. सांस्कृतिक विविधता का सम्मान:

पाठ्यचर्या में अंतर्राष्ट्रीय अवबोध के समावेश से विद्यार्थी विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों का ज्ञान प्राप्त करते हैं। यह उन्हें विभिन्न दृष्टिकोणों का सम्मान करने और समझने में मदद करता है, जिससे वे सहिष्णुता और सामंजस्य की भावना विकसित कर सकते हैं।

3. वैश्विक मुद्दों का समाधान:

इस दृष्टिकोण से विद्यार्थी वैश्विक चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार, और आर्थिक असमानता, के बारे में जागरूक होते हैं। वे इन मुद्दों को समझने और समाधान खोजने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे वे सक्रिय भागीदार बनते हैं।

4. शैक्षणिक सहयोग और नवाचार:

अंतर्राष्ट्रीय अवबोध शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। विभिन्न देशों और संस्कृतियों के बीच ज्ञान और संसाधनों का आदान-प्रदान नई दृष्टियों और नवाचारों को जन्म देता है।

निष्कर्ष:

इस प्रकार, पाठ्यचर्या विकास में अंतर्राष्ट्रीय अवबोध का विचार न केवल विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर सोचने की क्षमता प्रदान करता है, बल्कि उन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता के प्रति संवेदनशील बनाता है। यह भविष्य की पीढ़ियों को अधिक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनाने में सहायक होता है।

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