शेरशाह सूरी (1472-1545) का शासन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वह एक उत्कृष्ट प्रशासक, सैनिक और सुधारक के रूप में जाने जाते हैं। शेरशाह की प्रशासनिक व्यवस्था के कई प्रमुख तत्व थे, जो उसके शासन को सफल और स्थायी बनाने में सहायक साबित हुए। इस उत्तर में हम शेरशाह की प्रशासनिक व्यवस्था के प्रमुख तत्वों का प्ररीक्षण करेंगे।
1. जमीनी व्यवस्था (Land Revenue System)
शेरशाह ने भूमि राजस्व व्यवस्था में सुधार किया। उसने कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए 'दिया' (दर्जे-फसली) प्रणाली अपनाई। इसके अंतर्गत भूमि का सर्वेक्षण करके उस पर लगने वाले करों का निर्धारण किया गया। इसके अलावा, करों का संग्रहण पारदर्शी और सटीक रूप से किया गया। शेरशाह ने करों के दायरे को संकीर्ण किया और किसानों को करों के भुगतान में सहूलियत दी।
2. सड़क और संचार व्यवस्था
शेरशाह ने अपने साम्राज्य में सड़कें बनवाने पर विशेष ध्यान दिया। उसने 'ग्रैंड ट्रंक रोड' (GT Road) का निर्माण किया, जो उसे उसके साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने में मददगार साबित हुई। इस सड़क का निर्माण व्यापार को बढ़ावा देने और प्रशासनिक संपर्क को मजबूत करने के लिए किया गया। सड़क किनारे विश्राम गृह, सराय और पानी के कुएँ बनवाए गए, जिससे यात्रा करना आसान हो गया।
3. स्थानीय प्रशासन
शेरशाह ने स्थानीय प्रशासन को मजबूत किया। उसने साम्राज्य को छोटे-छोटे प्रांतों (सूबों) में विभाजित किया और प्रत्येक प्रांत में एक 'नवाब' (प्रांतीय गवर्नर) नियुक्त किया। नवाबों को उनके प्रांतों के प्रशासन और कर संग्रहण की जिम्मेदारी दी गई। स्थानीय स्तर पर 'मुंसिफ' (न्यायाधीश) और 'काजी' (धार्मिक न्यायाधीश) की नियुक्ति की गई, जिससे स्थानीय मुद्दों का त्वरित समाधान संभव हुआ।
4. सैन्य व्यवस्था
शेरशाह की सैन्य व्यवस्था भी अत्यधिक प्रभावशाली थी। उसने एक स्थायी और व्यावसायिक सेना का निर्माण किया। शेरशाह ने सैनिकों के लिए एक उच्चतम मानक निर्धारित किया, जिसमें उन्हें नियमित वेतन और युद्ध में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार प्रदान किए जाते थे।
5. न्यायिक व्यवस्था
शेरशाह ने न्यायिक प्रणाली में भी सुधार किया। उसने फौजदारी और दीवानी न्यायालयों की स्थापना की। न्यायालयों में कुशल और योग्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई, ताकि न्याय का वितरण त्वरित और निष्पक्ष रूप से किया जा सके।
6. पुलिस और सुरक्षा
शेरशाह ने पुलिस व्यवस्था को भी मजबूत किया। उसने 'शहरदार' (नगर प्रमुख) और 'थानेदार' (पुलिस प्रमुख) की नियुक्ति की, जो कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार थे। शेरशाह ने अपराधियों को कड़ी सजा देने के लिए कानूनों को सख्त बनाया, जिससे सुरक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ।
7. धर्म और संस्कृति
शेरशाह ने धर्म को राजनीति से अलग रखने की कोशिश की। उसने सभी धर्मों के प्रति सम्मान दिखाया और विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित किए।
8. वित्तीय व्यवस्था
शेरशाह ने वित्तीय प्रणाली को भी सुदृढ़ किया। उसने मुद्रा प्रणाली को सुधारते हुए एक स्थायी और व्यापक मुद्रा नीति लागू की। शेरशाह ने विभिन्न प्रकार की सिक्के जारी किए, जिससे व्यापार में आसानी हुई।
9. सामाजिक सुधार
शेरशाह ने समाज में सुधार के लिए कई योजनाएँ लागू की। उसने शिक्षा को बढ़ावा दिया और विद्या के क्षेत्र में सुधार करने के लिए कई विद्यालयों की स्थापना की।
10. व्यापार और वाणिज्य
शेरशाह ने व्यापार को प्रोत्साहित किया। उसने व्यापारियों को करों में छूट दी और व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाने के लिए वाणिज्यिक नीति बनाई।
निष्कर्ष
शेरशाह की प्रशासनिक व्यवस्था एक समृद्ध और स्थायी शासन की नींव रखती है। उसके द्वारा किए गए सुधार और व्यवस्थाएँ न केवल उसके साम्राज्य के लिए, बल्कि भारतीय प्रशासनिक प्रणाली के लिए भी एक आदर्श के रूप में कार्य करती हैं। शेरशाह ने एक मजबूत और प्रभावी प्रशासन की स्थापना की, जिससे उसके शासन का समय इतिहास में स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गया। उसकी प्रशासनिक नीति और उपाय आज भी प्रशंसा के योग्य हैं और आधुनिक प्रशासन में भी इनके सिद्धांतों को अपनाया जा सकता है।
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