निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 75 शब्दों में दें ।
क. जॉर्ज बेटसन
उत्तर – जॉर्ज बेटसन एक उपन्यासकार, कवि, और लेखक थे जो अंग्रेज़ी साहित्य के महत्वपूर्ण फ़िल्ड में अपनी योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने विभिन्न कविताएँ, कहानियाँ, और उपन्यास लिखे, जिनमें उनके कई काम अंग्रेज़ी साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से माने जाते हैं।
उनका उपन्यास "मिडलमार्च" (Middlemarch) एक उदाहरणीय कृति दृष्टिकोण और गृहजीवन के विविध पहलुओं को छूने वाला अद्वितीय काम है। इस उपन्यास में वे समाज के विभिन्न वर्गों, जातियों, और व्यक्तियों के जीवन को रेखांकित करते हैं और उनके मानवता और दयालुता के मामूले में गहराई से प्रकट होते हैं।
उनके लिखे गए कविताएँ भी उनकी महत्वपूर्ण कला का प्रतीक हैं। उन्होंने अनेक विषयों पर कविताएँ लिखी हैं, जिनमें समाज, प्रेम, और मानवीय भावनाओं का अध्ययन किया गया है।
जॉर्ज बेटसन के काम ने उन्हें अंग्रेज़ी साहित्य के प्रमुख लेखकों में से एक बना दिया है, और उनकी लेखनी ने साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है।
ख. मीडिया नैतिकता
उत्तर – मीडिया नैतिकता एक मीडिया की कार्यों और नैतिक मूल्यों के बीच संबंध को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त शब्द है। यह नैतिक मूल्यों की पालन और मीडिया के उपयोग के तरीकों के बीच के संतुलन को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य समाज को सुचना और संवाद प्रदान करना होता है। मीडिया नैतिकता के कुछ मुख्य पहलुओं में शामिल होते हैं:
- सटीकता और पारदर्शिता: मीडिया को हमेशा सटीक और पारदर्शी होना चाहिए। इसका मतलब है कि मीडिया को सच्चाई का पालन करना चाहिए और वाणिज्यिक या राजनीतिक मानदंडों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
- न्यायिकता: मीडिया को समाज में न्याय और समानता की प्रोत्साहना करना चाहिए। यह मीडिया के विचारधारा, न्यूज़ कवरेज, और सामाचार का प्रसारण में व्यक्त होता है।
- गोपनीयता और गोपनीयता: व्यक्तिगत और व्यक्तिगत जानकारी की संरक्षण की गरंटी के रूप में, मीडिया को गोपनीयता का पालन करना चाहिए और व्यक्तिगत जीवन की गोपनीयता का आदर करना चाहिए।
- विविधता और समरसता: मीडिया को विभिन्न समुदायों, जातियों, और धर्मों की विविधता का समरस दिखाना चाहिए और सामाजिक समरसता की प्रोत्साहना करना चाहिए।
- हत्या और आत्महत्या के प्रसारण की रोकथाम: मीडिया को आत्महत्या और हिंसा के प्रसारण को रोकने का महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए और व्यक्तिगत जीवन की समर्थना करना चाहिए।
- सामाजिक उत्थान: मीडिया को सामाजिक उत्थान की प्रोत्साहना करना चाहिए, जिससे आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक समृद्धि हो सके।
मीडिया नैतिकता का पालन करने से, मीडिया समुदाय को सही और नैतिक मार्ग पर देखने का माध्यम बनता है और समाज को सुचना और जागरूकता प्रदान करता है।
ग. कला और शिल्प
उत्तर – कला और शिल्प दो विभिन्न क्रियाओं या विधाओं को संदर्भित करते हैं, जिनमें व्यक्ति अपने विचारों, अभिव्यक्ति के साधना, और समाज के साथ अपने संबंधों को व्यक्त करते हैं। यह दो अलग-अलग क्षेत्र हैं, जिनमें विशिष्ट कौशल और दृष्टिकोणों का उपयोग होता है।
कला:
कला व्यक्ति की भावनाओं, विचारों, और रूचियों को साझा करने का एक माध्यम है। इसमें प्राकृतिक रूप से बनाई गई चीजें, जैसे कि पेंटिंग, स्कल्प्चर, संगीत, नृत्य, और थिएटर शामिल होते हैं। कला का मुख्य उद्देश्य दर्शकों को मनोरंजन और सोचने के लिए प्रोत्साहित करना है, और यह व्यक्ति के अंदर की भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का माध्यम भी होता है। कला आमतौर पर अन्य कल्पनाओं को बढ़ावा देने, समाज को जागरूक करने, और सुनाने का तरीका होता है।
शिल्प:
शिल्प केवल एक आदर्श चीज को बनाने की प्रक्रिया है, जिसमें कौशल, मानव शारीरिक क्षमता, और तकनीकी ज्ञान का प्रयोग होता है। इसमें चीजों को बनाने, मोड़ने, या आकर देने की कला शामिल होती है, जैसे कि गोंद, लकड़ी, मिट्टी, मोमबत्तियाँ, और कागज़ का काम शामिल होता है। शिल्प का मुख्य उद्देश्य विशिष्ट आदर्श चीज को बनाना और उसका उपयोग करना होता है, जिसमें कला के तत्वों की भाषा और संरचना का पालन किया जाता है।
कला और शिल्प दोनों मनोरंजन और भावनाओं को व्यक्त करने के माध्यम के रूप में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनमें क्रियाओं और उपयोग के अलग-अलग पहलु होते हैं।
घ. नृजातिविज्ञान (एथ्नोग्राफिक) फोटोग्राफी में अंतर्वस्तु
उत्तर – नृजातिविज्ञान फोटोग्राफी एक अद्वितीय प्रकार की फोटोग्राफी है जो नृजातिविज्ञान अथवा एथ्नोग्राफिक अनुसंधान के संदर्भ में किया जाता है। इसमें फोटोग्राफी का उपयोग सामाजिक और सांस्कृतिक अध्ययन के लिए किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न समुदायों, संस्कृतियों, और लोगों के जीवन को दर्शाना और विश्लेषण करना है।
नृजातिविज्ञान फोटोग्राफी में "अंतर्वस्तु" (intersubjectivity) एक महत्वपूर्ण पहलु है, जिसका अर्थ होता है कि फोटोग्राफर और उनके विषयों के बीच एक संवादिक संबंध होता है। इसमें फोटोग्राफर का उद्देश्य विषयों के पास जाना और उनके साथ एक साझा अनुभव साझा करना होता है, ताकि वे सही तरीके से उनकी समझ सकें और उनके संदर्भ को गहराई से समझ सकें।
अंतर्वस्तु के माध्यम से, फोटोग्राफर समय और स्थान के साथ जुड़े विषयों की दुनिया को दर्शाते हैं, जिसमें उनकी जीवनशैली, संस्कृति, और अनुभव शामिल होते हैं। इसके अलावा, वे विभिन्न संदर्भों में गतिविधियों की छवियाँ बनाते हैं, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जा सकता है।
नृजातिविज्ञान फोटोग्राफी में अंतर्वस्तु का महत्व है, क्योंकि यह फोटोग्राफर और उनके विषयों के बीच एक साजीव संबंध का परिणाम होता है, जिससे अध्ययन करने और समझने के लिए मौका मिलता है कि विषयों के जीवन का अधिक सटीक और मानवीय दृष्टिकोण दिखाया जा सके।
ड. 1920 से 1940 के दशक के दौरान नृजातिविज्ञान (एथ्नोग्राफिक) फिल्में
उत्तर – 1920 से 1940 के दशक के दौरान नृवंशविज्ञान फिल्मों ने विभिन्न संस्कृतियों और समाजों के दस्तावेजीकरण और चित्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवधि के दौरान फिल्म निर्माताओं ने अक्सर स्वदेशी लोगों के जीवन और रीति-रिवाजों को पकड़ने, उनकी परंपराओं, अनुष्ठानों और जीवन के तरीकों को व्यापक दर्शकों के लिए प्रदर्शित करने के लिए माध्यम का उपयोग किया। फ़िल्मों का उद्देश्य इन संस्कृतियों का एक प्रामाणिक चित्रण प्रदान करना था, जिसमें अक्सर अप्रकाशित कथाएँ और वास्तविक जीवन की घटनाएँ शामिल होती थीं। इस युग की कुछ उल्लेखनीय नृवंशविज्ञान फिल्मों में रॉबर्ट फ्लेहर्टी की "नानुक ऑफ द नॉर्थ" (1922) शामिल है, जिसमें एक इनुइट परिवार के जीवन को दर्शाया गया है, और जॉन ग्रियर्सन की "ड्रिफ्टर्स" (1929), जिसने ब्रिटेन में हेरिंग मछुआरों के जीवन को दर्शाया है। इन फिल्मों ने नृवंशविज्ञान फिल्म निर्माण के विकास और सांस्कृतिक विविधता की समझ और सराहना में योगदान दिया। उन्होंने प्रतिनिधित्व और स्वदेशी संस्कृतियों के दस्तावेजीकरण की नैतिकता के बारे में भी बहस छेड़ दी, जिससे फिल्म निर्माता और फिल्माए जा रहे विषयों के बीच संबंधों के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठे। कुल मिलाकर, इस अवधि के दौरान नृवंशविज्ञान फिल्में फिल्म के माध्यम से सांस्कृतिक समझ को व्यापक बनाने और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में सहायक थीं।
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