वैश्वीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न राष्ट्रों और समुदायों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक संबंधों में गहरी अंतरराष्ट्रीय प्रभावों का विस्तार होता है। यह प्रक्रिया तकनीकी उन्नति, व्यापार, निवास, और संचार के तत्वों के माध्यम से विश्व को एकत्रित करती है। वैश्वीकरण के इस प्रकार के गहरे प्रभाव स्वास्थ्य पर होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1. स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच:वैश्वीकरण के फलस्वरूप, तकनीकी उन्नति और व्यापार के संचार के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में सुधार होता है। नए और उन्नत चिकित्सा प्रणालियों का विकास होता है और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलता है।
2. औषधि और तकनीकी उन्नति:वैश्वीकरण के कारण, औषधीय उत्पादों की विकास की गति तेज होती है और नई दवाओं का अधिक उत्पादन होता है। इससे रोगों के इलाज की संभावनाएं बढ़ती हैं और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है।
3. अन्य संगठनों और विश्व स्तरीय सहयोग:वैश्वीकरण के कारण, अनेक गैर-सरकारी संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का संचार और सहयोग अधिक सक्षम होता है। ये संगठन स्वास्थ्य क्षेत्र में विभिन्न मुद्दों का समाधान करने में मदद करते हैं, जैसे कि रोग नियंत्रण, टीकाकरण, और महामारी प्रबंधन।
4. पर्यावरण संरक्षण:वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने भूमि, जल, और हवा के प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों को गंभीरता से लिया है। पर्यावरण के संरक्षण में सशक्त सहयोग और साझेदारी का माध्यम बनता है, जो स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
5. रोग प्रतिरोधकता की गणना:वैश्वीकरण के कारण, रोग प्रतिरोधकता की गणना में सुधार होता है, जिससे लोग विभिन्न रोगों के खिलाफ मजबूत होते हैं। इससे अप्रत्याशित रोगों के फैलाव का खतरा कम होता है।
वैश्वीकरण के इन प्रभावों से स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार होता है, लेकिन इसके साथ ही लोगों के सामाजिक और आर्थिक संदर्भ में भी परिणाम होते हैं, जो स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए, संवेदनशील वैश्वीकरण के साथ साथ समाजिक और आर्थिक समायोजन की भी जरूरत होती है।
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