बदलते परिवार और विवाह का स्वरूप:
1. बदलते परिवार का स्वरूप:
परिवार एक समाज में महत्वपूर्ण सामाजिक एकाइ है जिसमें व्यक्तियों के आपसी संबंध, साझेदारी, और संबंध होते हैं। हमारी समाज में परिवार का स्वरूप बदल रहा है और नए परिवारिक मॉडल्स उत्पन्न हो रहे हैं।
- एकल (Nuclear) परिवार: यह प्रमुखत: माता-पिता और उनके बच्चों से मिलकर बनता है। यह विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में प्रचलित है और आत्मनिर्भरता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बल देता है।
- संयुक्त (Joint) परिवार: इसमें विभिन्न पीढ़ियों के सदस्यों को मिलकर एक बड़ा परिवार बनाते हैं। यह अक्सर गाँवों और उपनगरीय क्षेत्रों में देखा जाता है और समृद्धि और साझेदारी को प्रोत्साहित करता है।
- एक-बाल नीति (One-Child Policy) परिवार: कुछ देशों में, एक सदस्य की संख्या पर नियंत्रण के लिए एक पुलिसी लागू हो सकती है, जिससे परिवार की छोटी सी संख्या होती है और विभिन्न परिवारिक भूमिकाओं में बदलाव होता है।
- आकांक्षाओं का समृद्धि से परिवार: आधुनिक समय में, अधिकांश परिवार अब अपनी सदस्यों को विभिन्न आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जैसे कि शिक्षा, करियर, और विभिन्न सामाजिक या व्यावसायिक क्षेत्रों में सफलता।
2. विवाह का स्वरूप:
- पारंपरिक विवाह: परंपरागत रूप से, विवाह एक स्थायी और सामाजिक संबंध बनाने का माध्यम होता था, जो परिवारों और समाज की स्थायिता को बनाए रखने में मदद करता था।
- अंतर-जाति विवाह: आधुनिक समय में, लोग अक्सर अपने समाज से बाहर जाकर अपने जीवन संगी का चयन करने का अधिकार चुनते हैं, जिससे अंतर-जाति विवाहें बढ़ रही हैं।
- सामंजस्य विवाह: विवाह के संबंध में सामंजस्य और समर्पण का महत्व है, और लोग अब अपने जीवन संगी के साथ सामंजस्यपूर्ण और साझेदारी भरे रिश्तों की प्राथमिकता देते हैं।
- सामाजिक विवाह: कुछ लोग विवाह को सिर्फ सामाजिक उद्दीपन के लिए करते हैं, ताकि वे अपने समाज और सांस्कृतिक मूल्यों के साथ मेल-जोल रह सकें।
इन रूपों में, परिवार और विवाह का स्वरूप समाज में सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक परिवर्तन का परिचायक हैं, जो समृद्धि और विकास की दिशा में बदल रहे हैं।
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